मार्जरीनकी बिक्री को नियंत्रित करने की आवश्यकता है: गडकरी ने प्रधानमंत्री को लिखा

Edited By PTI News Agency,Updated: 03 Aug, 2020 10:10 PM

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नयी दिल्ली, तीन अगस्त (भाषा) होटल और रेस्तरां में मक्खन के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले मार्जरीन के अंधाधुंध उपयोग पर चिंता जताते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष इस मुद्दे को उठाया है और सुझाव...

नयी दिल्ली, तीन अगस्त (भाषा) होटल और रेस्तरां में मक्खन के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले मार्जरीन के अंधाधुंध उपयोग पर चिंता जताते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष इस मुद्दे को उठाया है और सुझाव दिया है सरकार को इसकी बिक्री पर नियंत्रण करने की आवश्यकता है क्योंकि यह लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है और डेयरी किसानों को वित्तीय नुकसान हो रहा है।
एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, ’’ गडकरी ने इस मामले को लेकर हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था।
विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘इस मांग पर तत्काल संज्ञान लेते हुए, प्रधान मंत्री कार्यालय ने खाद्य नियामक, एफएसएसएआई को निर्देश दिया, जिसने खाद्य पदार्थों में मार्जरीन के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए तुरंत स्पष्टीकरण, निर्देश और भविष्य की कार्रवाईयों के बारे में निर्देश जारी किया।’’ इस बनावटी मक्खन में काफी मात्रा में ट्रांस फैट मौजूद होने के कारण यह मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। होटल और रेस्तरां में इसका उपयोग काफी बढ़ गया है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री ने कहा, ‘‘इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रहा है और इसके कारण गाय के दूध से बने मक्खन की बिक्री प्रभावित हो रही है और इसके कारण किसानों को वित्तीय रूप से नुकसान पहुंच रहा है। सरकार को नकली मक्खन की बिक्री पर नियंत्रण रखने की जरूरत है।’’ एक सस्ता विकल्प होने के नाते, मक्खन के विकल्प के रूप में मार्जरीन का उपयोग किया जाता है, जिसका डेयरी किसानों की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकार) ने स्पष्ट किया है कि बेकरी और औद्योगिक मक्खन में ट्रांस वसा की सीमा अधिकतम पांच प्रतिशत तय की गई है।
इसमें कहा गया है कि खाद्य तेलों में ट्रांस वसा और वसा की सीमा को 2021 तक तीन प्रतिशत से कम करने और वर्ष 2022 तक दो प्रतिशत तक करने के लिए प्रक्रिया चल रही है।
इसके अलावा, जिन उत्पादों में नकली मक्खन का उपयोग होता है उसके पैक के लेबल पर ट्रांस वसा और संतृप्त वसा की मात्रा घोषित करने को अनिवार्य किया गया है।
विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘एफएसएसएआई डेयरी एनालॉग के लिए एक विशिष्ट परिभाषा को शामिल करके एफएसएस (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य पदार्थ) विनियम, 2011 में संशोधन कर रहा है।


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