कार खरीदने के इच्छुक लोगों के लिये बाधा है भारी कर: Maruti Suzuki

Edited By rajesh kumar,Updated: 05 Aug, 2020 11:43 AM

heavy tax is a hurdle for people wanting to buy a car maruti suzuki

वाहन निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव का कहना है कि भारत में किसी भी अन्य विनिर्माता देश की तुलना में कारों पर कर की दरें अधिक हैं। उन्होंने कहा कि यह कार खरीदने को इच्छुक कई लोगों के लिये बाधा का काम करता है।

नई दिल्ली: वाहन निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव का कहना है कि भारत में किसी भी अन्य विनिर्माता देश की तुलना में कारों पर कर की दरें अधिक हैं। उन्होंने कहा कि यह कार खरीदने को इच्छुक कई लोगों के लिये बाधा का काम करता है। भार्गव ने 2019-20 के लिये कंपनी की सालाना रिपोर्ट में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि 2025 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़ाकर 25 प्रतिशत करना है, तो इसके लिये वाहनों की बिक्री में तेज वृद्धि की जरूरत है।

उन्होंने करों के बारे में कहा 2019-20 से पहले भी, भारत में कारों पर कर दुनिया के किसी भी अन्य कार विनिर्माता देश की तुलना में कहीं अधिक था। यूरोपीय संघ (ईयू) में मूल्य वर्धित कर (वैट) 19 फीसदी है और इसके अलावा कोई अन्य कर नहीं। जापान में कर लगभग 10 प्रतिशत हैं। भार्गव ने कहा भारत में प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है। ऐसे में कर की अधिक दरें कई संभावित कार मालिकों के लिये बड़ा मुद्दा है। उन्होंने आगे कहा कि 2019-20 में कार खरीदने की लागत में वृद्धि के साथ ऋण प्राप्त करने में दिक्कतों समेत अन्य बाधाओं के कारण बिक्री में गिरावट आयी।

मारुति सुजुकी के चेयरमैन ने कहा यह बहुत स्पष्ट है कि यदि विनिर्माण क्षेत्र को एक ऐसी दर से बढ़ाना है कि यह 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद में 25 प्रतिशत तक का योगदान दे, तो कार की बिक्री पहले की तुलना में बहुत अधिक दर से बढ़नी चाहिये। कार उद्योग पूरे वाहन क्षेत्र में करीब 50 प्रतिशत तथा जीडीपी में पूरे विनिर्माण क्षेत्र के योगदान में करीब 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है। अभी देश में यात्री वाहनों पर सर्वाधिक 28 प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगता है। इसके अलावा चार मीटर से कम लंबाई वाले यात्री वाहनों पर एक प्रतिशत उपकर लगता है, जो चार मीटर से अधिक लंबाई वाले स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) के लिये बढ़कर 22 प्रतिशत हो जाता है।

भार्गव ने कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव पर टिप्पणी करते हुए कहा वित्त वर्ष समाप्त होने से पहले ही कोविड-19 महामारी ने वाहन क्षेत्र की मुश्किलों को बढ़ा दिया था। 25 मार्च 2020 से लगे लॉकडाउन ने सभी कंपनियों की बिक्री योजनाओं को बाधित कर दिया, क्योंकि मार्च का आखिरी सप्ताह हमेशा महत्वपूर्ण होता है। अप्रैल में कोई उत्पादन नहीं हो सकता था और मई 2020 में उत्पादन बहुत सीमित था। जून में उत्पादन में कुछ सुधार हुआ। भार्गव ने कहा, कंपनी को उम्मीद है कि धीरे-धीरे उत्पादन और बिक्री बढ़ेगी, क्योंकि स्थिति में सुधार हो रहा है और श्रमिक अपने गांवों से लौटने लगे हैं।

आगे के परिदृश्य के बारे में उन्होंने कहा कि अच्छी रबी फसल और अपेक्षित सामान्य मानसून की बदौलत ग्रामीण क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था काफी मजबूत है। ट्रैक्टर की बिक्री पिछले साल की तुलना में पहले से अधिक है। उन्होंने कहा ग्रामीण क्षेत्रों में हमारी बिक्री शहरी क्षेत्रों की तुलना में तेजी से बढ़ रही है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि 2020-21 की दूसरी छमाही में बिक्री पिछले साल के प्रदर्शन के करीब हो सकती है और 2021-22 बेहतर होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि यदि डीजल वाहनों की मांग आती है तो कंपनी फिर से डीजल वाहन उतारने पर विचार कर सकती है। उल्लेखनीय है कि कंपनी नये उत्सर्जन मानक भारत स्टेज छह के लागू होने के बाद डीजल वाहनों का उत्पादन बंद कर चुकी है।



 

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