Edited By PTI News Agency,Updated: 07 Aug, 2020 11:55 PM
नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) दिशानिर्देश में संशोधन किया। यह संशोधन उन समाशोधन कंपनियों के लिये पात्रता मानदंड और शेयरधारिता सीमा के संदर्भ में है जो ऐसे केंद्रों...
नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) दिशानिर्देश में संशोधन किया। यह संशोधन उन समाशोधन कंपनियों के लिये पात्रता मानदंड और शेयरधारिता सीमा के संदर्भ में है जो ऐसे केंद्रों में काम करने को इच्छुक हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक परिपत्र में कहा कि इस निर्णय का मकसद आईएफसी में परिचालन को दुरूस्त करना है। संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय किया गया है।
सेबी ने कहा कि नियमों के तहत कोई भी भारतीय मान्यता प्राप्त शेयर बाजार या समाशोधन निगम (क्लीयरिंग कॉरपोरेशन) या दूसरे देश का कोई मान्यता प्राप्त शेयर बाजार या समाशोधन निगम आईएफएससी में समाशोधन निगम की सेवाएं उपलब्ध कराने के लिये अनुषंगी इकाई बनाएंगे। इसमें कम-से-कम 51 प्रतिशत हिस्सेदारी ऐसे एक्सचेंज या समाशोधन निगम के पास होनी चाहिए।
शेष शेयर हिस्सेदारी अन्य व्यक्ति के पास हो सकती है। वह व्यक्ति भारतीय या विदेशों में रहने वाला हो सकता है।
परिपत्र के अनुसार इसके अलावा ऐसे व्यक्ति किसी भी समय प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से, व्यक्तिगत अथवा संयुक्त रूप से आईएफएसी में समाशोधन कंपनी में 5 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी नहीं ले सकेगा।
सेबी के अनुसार भारत या दूसरे देशों के अन्य शेयर बाजार, डिपाजिटरी, बैंक, बीमा कंपनियों को आईएफएससी में काम करने वाले समशोधन निगम में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने की अनुमति होगी।
इसके अलावा भारत के सार्वजनिक वित्तीय संस्थान, विदेशी कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज और द्विपक्षीय या बहुपक्षीय वित्तीय संस्थान सीधे या परोक्ष रूप से व्यक्तिगत रूप से अथवा संयुक्त रूप से इस प्रकार के समशोधन निगम में उसकी चुकता शेयर पूंजी का 15 प्रतिशत तक हिस्सेदारी रख सकते हैं।
इसे लागू करने के लिये सेबी ने आईएफएससी दिशानिर्देश में संशोधन किया है।
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