केन्द्र ने जीएसटी भरपाई के राज्यों को दिये दो विकल्प, आरबीआई के जरिये बाजार से जुटायें कर्ज

Edited By PTI News Agency,Updated: 27 Aug, 2020 09:06 PM

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नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) केंद्र ने बृहस्पतिवार को जीएसटी राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिये राज्यों को दो विकल्प दिये। इन विकल्पों के तहत राज्य बाजार से कर्ज उठा सकते हैं और राजस्व कमी की भरपाई कर सकते हैं। चालू चालू वित्त वर्ष में...

नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) केंद्र ने बृहस्पतिवार को जीएसटी राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिये राज्यों को दो विकल्प दिये। इन विकल्पों के तहत राज्य बाजार से कर्ज उठा सकते हैं और राजस्व कमी की भरपाई कर सकते हैं। चालू चालू वित्त वर्ष में जीएसटी राजस्व प्राप्ति में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान लगाया गया है।

गैर-राजग शासित राज्यों की एक सुर में जीएसटी राजस्व की कमी की क्षतिपूर्ति की पुरजोर मांग के बीच केंद्र ने ये विकल्प दिये हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद की पांच घंटे चली बैठक के बाद कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण राजस्व में कमी बढ़ी है और इसकी भरपाई के लिये कर की दरें बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
उन्होंने महान्यायवादी की कानूनी राय का हवाला देते हुए केंद्र सरकार के अपने कोष से या बही-खाते के एवज में कर्ज लेकर कमी की भरपाई की संभावना को खारिज किया।

वित्त मंत्री ने कहा कि घाटे की भरपाई राज्य विशेष खिड़की का उपयोग करने के जरिये कर्ज लेकर कर सकते हैं। इस कर्ज को पांच साल बाद जीएसटी उपकर संग्रह से लौटाया जाएगा।
अगर राज्य इन विकल्पों में से किसी एक पर सहमत होते हैं, इसका मतलब होगा कि उपकर जीएसटी क्रियान्वयन के पांच साल बाद भी जारी रहेगा।

राज्यों के पास दूसरा विकल्प यह है कि वे क्षतिपूर्ति की पूरी राशि 2.35 लाख करोड़ रुपये विशेष उपाय के तहत कर्ज उठा लें।

वर्ष 2017 में 28 राज्य वैट समेत अपने स्थानीय करों को समाहित कर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने पर सहमत हुए थे। इसके एवज में केंद्र ने पांच साल तक राजस्व में किसी भी प्रकार की कमी की भरपाई का वादा किया था।

लेकिन अर्थव्यवस्था में नरमी के साथ चालू वित्त वर्ष में राजस्व कमी 2.35 लाख करोड़ रुपये पहुंच जाने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में यह कमी 70,000 करोड़ रुपये थी।

राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे ने कहा कि इसमें से 97,000 करोड़ रुपये जीएसटी की कमी की वजह से जबकि शेष का कारण कोविड-19 का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव है।

वित्त सचिव की भी जिम्मेदारी संभाल रहे पांडे ने कहा कि 2019-20 में राजस्व में कमी 70,000 करोड़ रुपये थी जिसकी भरपाई पिछले दो साल के अधिशेष से की गयी। लेकिन इस साल जीएसटी संग्रह पर महामारी का असर पड़ा है।

वर्ष 2017 में जीएसटी जब क्रियान्वित किया गया था, केंद्र ने राजस्व में किसी भी प्रकार की कमी की भरपाई करने का वादा किया था। यह भरपाई आरामदायक (लक्जरी) और अहितकर वस्तुओं पर उपकर लगाकर किया जाना था।

इस कोष में संग्रह पहले दो साल में अधिशेष रहा। लेकिन 2019-20 और चालू वित्त वर्ष में इसमें दी जाने वाली राशि की तुलना में संग्रह कम रहा।

सीतारमण ने राज्यों को दिये गये विकल्प का ब्योरा देते हुए कहा कि रिजर्व बैंक से विचार-विमर्श के बाद राज्यों को विशेष विकल्प उपलब्ध कराये जा सकते हैं। इसके तहत वाजिब ब्याज दर पर 97,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये जा सकते हैं। इस राशि का भुगतान पांच साल बाद उपकर संग्रह से किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि राज्यों को इन प्रस्तावों पर विचार के लिये सात दिन का समय दिया गया है।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘कर्ज पर जो ब्याज होगा, उसका भुगतान जीएसटी लागू होने के पांच साल बाद उपकर संग्रह से किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राज्यों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं होगा।’’ राज्यों को आरबीआई के जरिये कर्ज लेने को कहा गया है ताकि यह सुनिश्चित हो कि सभी राज्य एक साथ कर्ज के लिये नहीं आयें और बांड रिटर्न बढ़े नहीं।

सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद ने निर्णय किया है कि कर्ज व्यवस्था चालू वित्त वर्ष के लिये है और अगले वित्त वर्ष की शुरूआत में इसकी समीक्षा की जाएगी।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘हमने दोनों विकल्पों में साफ कहा है ... हम रिजर्व बैंक से बात करने की सुविधा उन्हें प्रदान करेंगे और राज्यों को जी-सेक (सरकारी प्रतिभूति) से जुड़े आनुपातिक वर्ष संख्या से जुड़ी दरों पर प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेंगे। ताकि राज्यों को कर्ज के लिये एक साथ भागना नहीं पड़े और भिन्न स्थिति का सामना नहीं करना पड़े और इस प्रक्रिया में बांड रिटर्न ऊंचा न हो जाए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए हमने कहा कि हम इसे सुगम बनाएंगे। लेकिन कर्ज राज्यों के नाम पर लिया जा सकता है और सभी राज्य करीब करीब एक ही ब्याज दर पर ऋण ले सकते हैं।’’
इन दोनों विकल्पों के बारे में विस्तार से जानकारी राज्यों के साथ साझा की जाएगी और वे सात कामकाजी दिवस में इस पर अपनी राय देंगे।

मंत्री ने कहा कि जैसे ही जीएसटी परिषद में व्यवस्था पर सहमति बनती है, केंद्र द्विमासिक क्षतिपूर्ति का निपटरा कर देगा। अप्रैल-जुलाई के लिये क्षतिपूर्ति राशि 1.50 लाख करोड़ रुपये है।

सीतारमण ने कहा, ‘‘इस साल हम आसाधारण स्थिति का सामना कर रहे हैं... हम प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहे हैं जिससे अर्थव्यवस्था में गिरावट आ सकती है। प्रतिशत के रूप में यह गिरावट कितनी होगी, मैं इसमें नहीं जा रही।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए हमने कहा कि क्षतिपूर्ति का हिस्सा... हम व्यस्था करेंगे, आपको देंगे।’’
वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि दोनों विकल्प इस बात पर निर्भर है कि कर्ज राज्य लेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने स्पष्ट किया कि आखिर केंद्र के बजाए राज्यों द्वारा कर्ज लेने को क्यों तरजीह दी जा रही है। हमने यह भी कहा कि अगर राज्य कर्ज लेने जा रहे हैं..., हम केंद्रीय बैंक के जरिये इसे सुगम बनाएंगे।’’
केंद्र ने 2019-20 में जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में 1.65 लाख करोड़ रुपये जारी किये। हालांकि उपकर संग्रह से प्राप्त राशि 95,444 करोड़ रुपये ही थी। शेष 70,000 करोड़ रुपये का भुगतान 2017-18 और 2018-19 के अतिरिक्त उपकर संग्रहह से किया गया।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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