‘श्रम सुधारों का मकसद भारत को कारोबार सुगमता में 10 शीर्ष देशों में शामिल करना है’

Edited By PTI News Agency,Updated: 22 Sep, 2020 08:33 PM

pti state story

नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) सरकार का व्यापक रूप से श्रम सुधारों के जरिये विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग में शीर्ष 10 देशों में स्थान बनाने का लक्ष्य है। संसद के मौजूदा सत्र में श्रम कानूनों में व्यापक सुधारों से संबद्ध तीन मसौदा...

नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) सरकार का व्यापक रूप से श्रम सुधारों के जरिये विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग में शीर्ष 10 देशों में स्थान बनाने का लक्ष्य है। संसद के मौजूदा सत्र में श्रम कानूनों में व्यापक सुधारों से संबद्ध तीन मसौदा संहिताओं को अगर मंजूरी मिलती है तो यह प्रक्रिया पूरी हो सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह कहा।
केन्द्र सरकार की श्रम सुधारों के तहत 44 विभिन्न केंद्रीय कानूनों को मजदूरी, औद्योगिक संबंध, पेशागत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाज की स्थिति और सामाजिक सुरक्षा, चार संहिताओं में समाहित करने की योजना है।

संसद ने मजदूरी संहिता विधेक 2019 को पिछले साल पारित कर दिया जबकि तीन अन्य संहिताओं को शनिवार को लोकसभा में पेश किया गया। ये विधेयक मंगलवार को निचले सदन में विचार और पारित किये जाने को लेकर सूचीबद्ध हैं।
श्रम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘सरकार का लक्ष्य लंबे समय से लंबित श्रम सुधारों को पूरा कर भारत को विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग में शीर्ष 10 देशों में पहुंचाने का लक्ष्य है।’’
‘डूइंग बिजनेस’ 2020 की रिपोर्ट के अनुसार कारोबार सुगमता रैंकिंग में भारत 14 स्थान सुधरकर 63वें स्थान पर रहा। पिछले पांच साल (2014-19) में भारत की रैंकिंग 79 पायदान सुधरी है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘संसद के मौजदा सत्र में तीनों संहिताओं के पारित होने के साथ श्रम सुधार प्रक्रिया पूरी होने के बाद श्रम कानून उत्प्रेरक के रूम में काम करेगा। इससे निवेश आकर्षित करने और रोजगार सृजित करने में मदद मिलेगी।’’
उसने कहा, ‘‘श्रम कानूनों की जटिलता के कारण फिलहाल किसी उद्यमी के लिये कामकाज शुरू करना दुरूह कार्य है। श्रम कानूनों की जटिलता के कारण उनका अनुपालन कठिन होता है। ऐसे में खुद का कारोबार करने और नौकरी सृजित करने वाला बनने के बजाय रोजगार की तलाश करना ज्यादा आसान लगता है।’’
श्रम संहिताओं के अमल में आने से एक श्रम रिटर्न, एक लाइसेंस और एक पंजीकरण की जरूरत होगी। इससे अनुपालन सुगम होगा।

वर्तमान में एक उद्यमी को मौजूदा श्रम कानूनों के तहत कारोबार चलाने के लिये आठ पंजीकरण और चार लाइसेंस की जरूरत होती है। इसके अलावा उन्हें आठ श्रम रिटर्न फाइल करना होता है जिसमें ईपीएफओ, ईएसआईसी और मुख्य श्रम आयुक्त के पास जानकारी देना शामिल है।

सरकार श्रम कानून के अनुपालन की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाने पर भी विचार कर रही है। इससे उद्यमियों के लिये प्रक्रिया आसान होगी। इन संहिताओं के तहत नियमों का अनुपाल नहीं करने को लेकर अधिकतम सजा सात साल से कम कर तीन साल की गई है।

इसके अलावा, अदालतों द्वारा नियोक्ताओं पर लगाये जाने वाले जुर्माने का 50 प्रतिशत लाभ कर्मचारियों को मिलेगा। यह अदालत द्वारा उपलब्ध करायी जाने वाली क्षतिपूर्ति के अलावा होगा।

कमर्चारी अगर कार्यस्थल पर आने-जाने में दुर्घटना के शिकार होते हैं, उन्हें मुआवजा मिलेगा। फिलहाल केवल उन्हीं कर्मचारियों को मुआवजा देने का प्रावधान है जो कार्य स्थल पर काम के दौरान दुर्घटना के शिकार होते हैं।
सामाजिक सुरक्षा पर संहिता में अस्थायी और एप, वेबसाइट के जरिये ग्राहकों को सेवा देने वाले कर्मचारियों (प्लेटफार्म वर्कर्स) के लिये भी सामाजिक सुरक्षा कोष के गठन का प्रस्ताव है।
देश में करीब करीब 50 करोड़ कामगार हैं। इसमें 10 करोड़ लोग संगठित क्षेत्र में काम करते हैं।

संहिताओं में कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र जारी करने, वेतन डिजिटल तरीके से देने और उनकी साल में एक बार मुफ्त चिकित्सा जांच जैसे प्रावधान भी हैं।

अधिकारी ने कहा, ‘‘ये कानून पासा पलटने वाले हैं और नियोक्ता, कर्मचारियों और सरकार तीनों के लिये फायदेमंद है। इससे जहां कारोबार में वृद्धि होगी, रोजगार सृजन को गति मिलेगी वहीं समय पर श्रम कानूनों का अनुपालन हो सकेगा।’’


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!