पश्चिमी तट में प्रस्तावित रिफाइनरी की क्षमता कम नहीं होगी, बीपीसीएल का निजीकरण रास्ते पर: प्रधान

Edited By PTI News Agency,Updated: 13 Oct, 2020 09:14 PM

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नयी दिल्ली, 13 अक्ट्रबर (भाषा) पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने मंगलवार को कहा कि देश के पश्चिमी तटीय क्षेत्र में प्रस्तावित सालाना छह करोड टन क्षमता की तेल शोधन परियोजना में कमी करने का विचार नहीं है। उन्होंने कहा कि...

नयी दिल्ली, 13 अक्ट्रबर (भाषा) पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने मंगलवार को कहा कि देश के पश्चिमी तटीय क्षेत्र में प्रस्तावित सालाना छह करोड टन क्षमता की तेल शोधन परियोजना में कमी करने का विचार नहीं है। उन्होंने कहा कि भविष्य के लिए इसकी जरूरत है।

प्रधान ने कहा कि भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निजीकरण का काम भी पटरी पर है, हालांकि कंपनी के आकार को देखते इस काम में सावधानी के साथ कदम उठाए जा रहे हैं।
बीपीसीएल में सरकार अपनी पूरी 51.11 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है।
प्रधान ने एनर्जी इंटैलिजेंस फोरम 2020 को संबोधित करते हुये कहा कि देश में ईंधन की मांग 2021 कैलेंडर वर्ष की पहली तिमाही (जनवरी- मार्च) के दौरान कोविड- 19 से पहले के स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत की तेल रिफाइनिंग की मौजूदा क्षमता सालाना 25 करोड़ टन के आसपास है। अगले एक दशक में हम इसमें 10 करोड़ टन और जोड़ना चाहते हैं। हमारी मांग को देखते हुये 2030 तक हमारे पास 35 करोड़ टन रिफाइनिंग की क्षमता होनी चाहिये।’’
दुनिया के तीसरे सबसे बड़े पेट्रोलियम पदार्थों के उपभोक्ता देश भारत की ईंधन की खपत 2050 तक दुगुनी होने का अनुमान है। यह स्थिति नवीनीकरण और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का इस्तेमाल होने के बावजूद होने का अनुमान लगाया गया है। बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहन आने के बावजूद ईंधन की खपत बढ़ने का अनुमा है।
प्रधान ने कहा कि निकट भविष्य में हाइड्रोकार्बन पर भारत की निर्भरता बनी रहेगी और भविष्य की मांग को पूरा करने के लिये पश्चिमी तटीय क्षेत्र में बनाई जाने वाली रिफाइनरी जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस मामले में (क्रियान्वयन के समय) कुछ पीछे चल रहे हैं। यह स्थिति आर्थिक मुद्दों की वजह से नहीं बल्कि कुछ स्थानीय मुद्दों के कारण है। हम रिफाइनरी के आकार को लेकर पुनर्विचार करने नहीं जा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण की वजह से परियोजना में देरी हो रही है और रिफाइनरी को बनाने वाली मुख्य प्रवर्तक कंपनी उपयुक्त स्थान पर जमीन उपलब्ध कराने को लेकर महाराष्ट्र सरकार से बातचीत कर रही है। जमीन का यह मुद्दा जल्द ही सुलझा लिया जायेगा।
इस प्रमुख रिफाइनरी परियोजना को पहले रत्नागिरी क्षेत्र में लगाया जाना था लेकिन यहां भूमि अधिग्रहण में अड़चन आने के कारण इसके लिये वैकल्पिक स्थान की तलाश की जा रही है। इस रिफाइनरी में सउदी अरामको और अबु धाबी नेशनल आयल कंपनी ने मिलकर 50 प्रतिशत हिस्सेदारी ली है और इसे मूल रूप से 2024- 25 तक तैयार किया जाना था।
बीपीसीएल में सरकार का अपनी पूरी 51.11 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव है। प्रधान ने कहा कि निजीकरण सरकार के एजेंडा में बरकरार है, हालांकि सरकार इस मामले में विनिवेश के आकार को देखते हुये सावधानी से आगे बढ़ रही है। बीपीसीएल के मामले में सरकार पहले ही शुरुआती बोली लगाने की समयसीमा को चार बार आगे बढ़ा चुकी है। अब रुचि व्यक्त करने की समयसीमा अगले महीने है।
मौजूदा मूल्य पर बीपीसीएल में सरकार की हिस्सेदारी का मूल्य 37,600 करोड़ रुपये तक बैठता है। इसके बाद खरीदार को सार्वजनिक शेयरधारकों से 26 प्रतिशत अतिरिक्त शेयरों की खरीद करनी होगी जिसपर 19,000 करोड़ रुपये और खर्च हो सकते हैं।


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