आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी को भारतीय रणनीतिक तेल भंडार के 50 प्रतिशत का व्यापार करने की अनुमति

Edited By PTI News Agency,Updated: 14 Oct, 2020 09:43 PM

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नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी को देश के रणनीतिक कच्चे तेल भंडार के 50 प्रतिशत का व्यापार करने की बुधवार को अनुमति दी। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक के बाद सरकार ने बुधवार को यह...

नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी को देश के रणनीतिक कच्चे तेल भंडार के 50 प्रतिशत का व्यापार करने की बुधवार को अनुमति दी। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक के बाद सरकार ने बुधवार को यह जानकारी दी।

आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी ने अभी तक मंगलुरू स्थित 15 लाख टन वाली भूमिगत रणनीतिक तेल भंडार की 50 प्रतिशत क्षमता को किराये पर लिया था। इसमें से 35 प्रतिशत भंडारित तेल का कंपनी वाणिज्यिक तरीके से उपयोग कर सकती थी। जबकि 15 प्रतिशत का व्यापार सरकार से अनुमति लेने के बाद किया जा सकता था।

अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई समिति की बैठक में आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी को भंडारित तेल के 50 प्रतिशत का वाणिज्यिक उपयोग करने की अनुमति दे दी गयी। इस लचीले रुख से कंपनी देश के तीन रणनीतिक तेल भंडारों में और अधिक तेल रखने को प्रोत्साहित होगी।

उल्लेखनीय है कि भारतीय रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार लिमिटेड (आईएसपीआरएल) ने कर्नाटक के मंगलुरू और पद्दूर एवं आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में तीन भूमिगत भंडारण सुविधा विकसित की हैं। इन्हें आपूर्ति और मांग में अंतर आने के दौरान कीमतों को स्थिर रखने के लिए तैयार किया गया है।

अधिकारियों ने कहा कि इन भूमिगत भंडारण सुविधाओं में तेल भंडारित करने की लागत आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी उठाएगी। जबकि आकस्मिक परिस्थितियों में इसके उपयोग का पहला अधिकार भारत के पास होगा। इस तरह देश को बिना रुपया खर्च किए ऊर्जा सुरक्षा मिलेगी।

मंगलुरू की 50 प्रतिशत क्षमता के अलावा आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी ने नवंबर 2018 में पद्दूर की ऐसी ही सुविधा की आधी क्षमता को किराये पर लेने के लिए समझौता किया था लेकिन वास्तव में कभी यहां तेल भंडारण किया ही नहीं। पद्दूर भूमिगत रणनीतिक भंडारण सुविधा की कुल क्षमता 25 लाख टन यानी 1.7 करोड़ बैरल है। पद्दूर भंडारण सुविधा की क्षमता सबसे अधिक है।

सरकार ने आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी द्वारा इन भंडारित तेलों के व्यापार करने को पहले स्थानीय करों से मुक्ति दी थी।

मंत्रिमंडल के निर्णयों के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी को यह अनुमति दिए जाने की जानकारी दी। हालांकि उन्होंने इसके बारे में विस्तार से नहीं बताया था।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें नीचे चले जाने का लाभ उठाते हुए सरकार ने अप्रैल-मई में 1.67 करोड़ बैरल कच्चे तेल का भंडारण किया था।

जावड़ेकर ने कहा कि पेट्रोलियम और गैस मंत्रालय ने इस तेल की खरीद पर 3,874 करोड़ रुपये व्यय किए थे। बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में पूर्व में की गयी इस खरीद को मंजूरी दे दी गयी। इस तेल की खरीद औसतन 19 डॉलर प्रति बैरल रही। यह जनवरी 2020 में तेल की औसत 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत के मुकाबले काफी कम थी।

सरकार ने अप्रैल-मई में कच्चे तेल की कीमतों के दो दशक के निचले स्तर पर चले जाने के दौरान इन तीन भंडारण सुविधाओं को भर लिया था। इस खरीद से उसे 68.51 करोड़ डॉलर या 5,069 करोड़ रुपये की बचत करने में मदद मिली।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश है। देश में आकस्मिक समय के लिए तीन स्थानों पर भूमिगत तेल भंडारण सुविधा विकसित की गयी है। भारत अपनी कुल तेल जरूरत का 85 प्रतिशत आयात करता है। इन तीनों भंडारण सुविधाओं में मौजूद तेल से देश की साढ़े नौ दिन की जरूरत पूरी की जा सकती है।

मंगलुरू की भूमिगत सुविधा की भंडारण क्षमता 15 लाख टन है। आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी ने अपना तेल भंडारित करने के लिए इसकी आधी क्षमता को पहले ही किराये पर लिया था। बाकी बची आधी क्षमता को भी उसने अप्रैल-मई में किराये पर ले लिया।



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