Edited By PTI News Agency,Updated: 14 Oct, 2020 11:37 PM
नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के कर्ज पुनर्गठन कार्यक्रम का लक्ष्य कोरोना वायरस महामारी के कारण वित्तीय दबाव में आये देशों को संकट से उबरने में मदद होनी चाहिए।
नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के कर्ज पुनर्गठन कार्यक्रम का लक्ष्य कोरोना वायरस महामारी के कारण वित्तीय दबाव में आये देशों को संकट से उबरने में मदद होनी चाहिए।
उन्होंने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये जी-20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘...यह जरूरी है कि कर्जदाताओं और ऋण लेने वाले दोनों की परिस्थितियों और चिंताओं पर गौर किया जाए। और कर्ज पुनर्गठन की प्रक्रिया में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि ऋणी देशों पर शर्तों को लेकर अधिक बोझ नहीं डाला जाए।’’
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि जी-20 कार्य योजना का एक महत्वपूर्ण परिणाम कर्ज अदायगी निलंबन पहल (डीएसएसआई) है। इसके तहत निम्न आय वाले देशों के कर्ज भुगतान को लेकर छह महीने की और राहत दी गयी है।
कर्ज भुगतान निलंबित रखने की पहल अप्रैल में प्रभाव में आयी थी और दिसंबर 2020 तक जारी रखने पर सहमति बनी थी।
बैठक के दौरान नकदी दबाव को देखते हुए डीएसएसआई यानी कर्ज भुगतान को लेकर निलंबन और छह महीने जून 2021 तक जारी रखने पर सहमति जतायी गयी।
बैठक में यह भी सहमति बनी कि अप्रैल में आईएमएफ/विश्वबैंक की होने वाली बैठकों में इस बात पर विचार किया जाएगा कि क्या कर्ज भुगतान को और समय के लिये निलंबित रखने की जरूरत है।
कर्ज भुगतान से राहत के लिये देशों को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के साथ इस संदर्भ में व्यवस्था को लेकर आवेदन करना होगा। यह एक नियमित कार्यक्रम या फिर अल्पकालीन आपात सुविधा हो सकती है।
सीतारमण ने निम्न आय वाले देशों की कर्ज को लेकर नाजुक स्थिति पर कहा कि ऋण के मामले में और अधिक संरचनात्मक व्यवहार की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि प्रक्रिया इस रूप से अपनायी जानी चाहिए जिससे ऐसे देशों को महामारी के कारण उत्पन्न राजकोषीय दबाव से पार पाने में मदद मिले।
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