Edited By PTI News Agency,Updated: 25 Oct, 2020 04:05 PM
नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर (भाषा) तेल गैस क्षेत्र 44खुला क्षेत्र लाइसेंस नीति (ओएएलपी) के तहत शुरुआत के दो साल में केयर्न ऑयल एंड गैस जैसी कंपनियों ने 2.3 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता में से महज 7.5 करोड़ डॉलर (करीब 550 करोड़ रुपये) खर्च किये...
नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर (भाषा) तेल गैस क्षेत्र 44खुला क्षेत्र लाइसेंस नीति (ओएएलपी) के तहत शुरुआत के दो साल में केयर्न ऑयल एंड गैस जैसी कंपनियों ने 2.3 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता में से महज 7.5 करोड़ डॉलर (करीब 550 करोड़ रुपये) खर्च किये हैं। हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) ने इसकी जानकारी दी है।
सरकार ने तेल एवं गैस की खेज को तेज करने तथा घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिये 2018 में ओएएलपी के तहत पहले दौर की नीलामी शुरू की थी। इसके तहत खोज करने वाली कंपनियों को ऐच्छिक क्षेत्र चुनने की सुविधा मिलती है।
सरकार ने बृहस्पतिवार को पांचवें दौर में चुनी गयी कंपनियों की घोषणा की। इसके साथ ही अब तक पांच दौर पूरा हो चुका है।
शुरुआती चार दौर में वेदांता समूह की कंपनी केयर्न ऑयल एंड गैस, सरकारी कंपनी ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियों ने 2.317 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जाहिर की है। ये निवेश 99 ब्लॉकों में किये जाने हैं।
हालांकि डीजीएच के आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च 2020 तक महज 7.5 करोड़ डॉलर का ही निवेश किया जा सका है।
केयर्न वेदांता को ओएएलपी के पहले दौर में 55 तेल एवं गैस खंडों में से 41 हासिल हुए। कंपनी ने इनमें 81.5 करोड़ डॉलर निवेश करने की प्रतिबद्धता जाहिर की। हालांकि डीजीएच ने कहा कि वह इनमें से महज 4.6 करोड़ डॉलर का ही निवेश कर पायी है।
कंपनी ने दूसरे दौर में 14 खंडों के लिये 45.2 करोड़ डॉलर निवेश करने की प्रतिबद्धता जाहिर की, जिसमें से महज 20 लाख डॉलर ही निवेश किये गये हैं। इसी तरह तीसरे दौर में 23 खंडों के लिये 70.9 करोड़ डॉलर की प्रतिबद्धता में से महज 2.1 करोड़ डॉलर और चौथे दौर के सात खंडों के लिये 34.1 करोड़ डॉलर की प्रतिबद्धता में से महज 60 लाख डॉलर निवेश किये गये हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।