Edited By PTI News Agency,Updated: 05 Nov, 2020 09:14 AM
चंडीगढ़, तीन नवंबर (भाषा) पंजाब में राज्य बिजली बोर्ड ने कहा कि वह मंगलवार शाम से कम-से-कम दो से तीन घंटे बिजली में कटौती करेगा। इसका कारण निजी क्षेत्र के तीन तापीय बिजलीघरों में ईंधन नहीं होने से बिजली उत्पादन बंद होना है। दो अन्य विद्युत...
चंडीगढ़, तीन नवंबर (भाषा) पंजाब में राज्य बिजली बोर्ड ने कहा कि वह मंगलवार शाम से कम-से-कम दो से तीन घंटे बिजली में कटौती करेगा। इसका कारण निजी क्षेत्र के तीन तापीय बिजलीघरों में ईंधन नहीं होने से बिजली उत्पादन बंद होना है। दो अन्य विद्युत संयंत्रों में भी कोयला बहुत कम बचा है।
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के प्रदर्शन और कुछ रेल पटरियों को बाधित किये जाने से रेलवे ने राज्य में माल गाड़ियों की आवाजाही निलंबित कर दी है। इससे तापीय बिजलीघरों को कोयले की आपूर्ति प्रभावित हुई है।
अधिकारी ने कहा कि मांग और आपूर्ति में अंतर और गंभीर होती स्थिति को देखते हुए पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लि. (पीएसपीसीएल) दो-तीन घंटे की बिजली कटौती कर रहा है।
पीएसपीसीएल के चेयरमैन ए वेणु प्रसाद ने कहा, ‘‘बिजली की स्थिति गंभीर है। बिजली कटौती को बढ़ाकर चार से पांच घंटे किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम आज शाम से तीन घंटे की बिजली कटौती कर रहे हैं।’’
निजी क्षेत्र की कंपनी जीवीके पावर ने कहा कि वह मंगलवार को दापेहर तीन बजे से परिचलन बंद कर दी है क्योंकि कोयला भंडार पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। दो अन्य निजी बिजली संयंत्रों राजपुरा में नभा पावर और मनसा में तलवंडी साबो कोयले की किल्लत के कारण पहले ही परिचालन बंद कर चुके हैं।
अधिकारियों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की दो बिजली कंपनियों लहरा मोहब्बत और रोपड़ बिजलीघरों में भी कोयला एक या दो दिन का ही बचा है।
फिलहाल राज्य में बिजली की मांग 6,000 मेगावाट है जबकि आपूर्ति 5,000 मेगावाट हैं। ये आपूर्ति केंद्रीय क्षेत्रों, पनबिजली और बॉयोमास से हो रही है। इससे राज्य में 1,000 मेगावाट बिजली की कमी है।
मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने कहा कि जमीन पर स्थिति गंभीर है क्योंकि राज्य के पास कोयला नहीं बचा है।
मालगाड़ियों की आवाजाही निलंबित होने से न केवल कोयले की आपूर्ति पर असर पड़ा है बल्कि रबी फसलों के लिये उर्वरक की आपूर्ति तथा खाद्यान्न के परिवहन पर भी असर पड़ा है।
इससे राज्य के उद्योग पर भी असर पड़ा है क्योंकि एक तरफ उन्हें कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित हुई है और दूसरी तरफ तैयार माल को भेजने में वे असमर्थ हैं।
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