Edited By PTI News Agency,Updated: 05 Nov, 2020 11:20 PM
नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि व श्रम क्षेत्र में हाल में किये गये सुधारों तथा आर्थिक क्षेत्र में अनुमान से तेज गति से हो रहे सुधार का हवाला देते हुये बृहस्पतिवार को वैश्विक निवेशकों को भारत में निवेश के लिये...
नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि व श्रम क्षेत्र में हाल में किये गये सुधारों तथा आर्थिक क्षेत्र में अनुमान से तेज गति से हो रहे सुधार का हवाला देते हुये बृहस्पतिवार को वैश्विक निवेशकों को भारत में निवेश के लिये आमंत्रित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को वैश्विक आर्थिक वृद्धि का इंजन बनाने के लिये जो भी करना होगा सरकार वह करेगी।
मोदी ने दुनिया के शीर्ष 20 निवेशकों को संबोधित करते हुए कहा, आत्मनिर्भर भारत अभियान का अर्थ यह नहीं है कि देश एक बंद अर्थव्यवस्था बन रहा है, बल्कि यह भारत की वृद्धि की यात्रा में भागीदार बनने का अवसर उपलब्ध कराता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर बनने की भारत की चाह मात्र एक सोच नहीं बल्कि सुनियोजित आर्थिक रणनीति है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक ऐसी रणनीति है, जिसका लक्ष्य हमारे व्यवसायों की क्षमता तथा कामगारों की कुशलता का इस्तेमाल कर भारत को विनिर्माण का वैश्विक शक्तिकेन्द्र बनाना है। यह प्रौद्योगिकी की हमारी क्षमता का इस्तेमाल कर भारत को नवोन्मेष का वैश्विक केंद्र बनाने की रणनीति है। यह ऐसी रणनीति है, जिसका लक्ष्य हमारे असीम मानव संसाधनों का इस्तेमाल कर वैश्विक विकास में योगदान देना है।’’
मोदी ने यहां एक आभासी वैश्विक आर्थिक गोलमेज निवेशक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत कॉरपोरेट कर की सबसे कम दर वाले देशों में से एक है।
वित्त मंत्रालय और राष्ट्रीय निवेश एवं अवसंरचना कोष द्वारा आयोजित इस गोलमेज सम्मेलन में दुनिया भर के 20 से अधिक शीर्ष पेंशन व संप्रभु कोषों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ये निवेशक अमेरिका, यूरोप, कनाडा, कोरिया, जापान, पश्चिम एशिया, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर से हैं। इन निवेशकों की सम्मिलित प्रबंधनाधीन संपत्तियां छह हजार अरब डॉलर के आस-पास हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘मैं खुश हूं कि वैश्विक निवेशक समुदाय हमारे भविष्य में भरोसा दिखा रहा है। पिछले पांच महीने के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पिछले एक साल की तुलना में 13 प्रतिशत बढ़ा है। इस गोलमेज सम्मेलन में आपकी सक्रिय भागीदारी ने भरोसे को और बढ़ाया है।’’
इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले कुछ प्रमुख निवेशकों में टेमासेक, ऑस्ट्रेलियन सुपर, सीडीपीक्यू, सीपीपी इंवेस्टमेंट्स, जीआईसी, फ्यूचर फंड, जापान पोस्ट बैंक, जापान बैंक फोर इंटरनेशनल को-ऑपरेशन, कोरियन इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन, निप्पॉन लाइफ, मुबाडाला इंवेस्टमेंट कंपनी, ओंटारियो टीचर्स, टीचर्स रिटायरमेंट टेक्सास और पेंशन डेनमार्क शामिल रहे।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप भरोसे के साथ निवेश पर कमाई चाहते हैं तो भारत ऐसा ही स्थान है। यदि आप लोकतंत्र के साथ मांग चाहते हैं तो भारत ऐसा देश है। यदि आप टिकाऊपन के साथ स्थिरता चाहते हैं तो भारत ऐसी ही जगह है। यदि आप पर्यावरण की सुरक्षा के साथ ही आर्थिक वृद्धि चाहते हैं तो भारत ही वह स्थान है।’’
मोदी ने कहा कि भारत लोकतंत्र, जनसांख्यिकी और मांग के साथ-साथ विविधता की पेशकश करता है। हमारी विविधता इस प्रकार की है कि आपको एक ही बाजार में विविध बाजार मिल जाते हैं। ये बाजार अलग-अलग आकार के और विभिन्न पसंद के हैं। ये बाजार अलग-अलग मौसम और विकास के विभिन्न स्तरों वाले हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि में वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार को प्रेरित करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि भारत की किसी भी उपलब्धि का दुनिया के विकास व कल्याण पर कई गुणा प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि देश की विनिर्माण क्षमता में सुधार लाने के लिये सरकार ने जीएसटी के रूप में एक देश एक कर प्रणाली को लागू किया। कॉपोरेट कर दरों को सबसे कम स्तर पर लाया गया और नई विनिर्माण गतिविधियों के लिये अतिरिक्त प्रोत्साहन दिये गये हैं। इसके अलावा आयकर आकलन के लिये चेहरारहित व्यवस्था शुरू की गई है।
उन्होंने कहा कि नये श्रम कानूनों में कर्मचारियों के कलयाण और नियोक्ता के लिये कारोबार सुगमता के बीच संतुलन कायम किया गया है।
मोदी ने इस मौके पर कहा कि भारत ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान काफी जुझारूपन दिखाया है। उन्होंने कहा, ‘‘चाहे वायरस से लड़ाई हो या फिर आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने की बात हो, भारत ने महामारी के दौरान काफी मजबूती दिखायी।’’
उन्होंने इस मौके पर कृषि क्षेत्र में हालिया सुधारों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘कृषि क्षेत्र में सुधारों ने किसानों के साथ भागीदारी की नयी संभावनाओं को खोला है और भारत शीघ्र ही कृषि निर्यात के बड़े केंद्र के रूप में उभरेगा। भारत को वैश्विक आर्थिक वृद्धि के पुनरुद्धार का इंजन बनाने को जो भी करना होगा वह किया जायेगा।’’
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