डिस्कॉम पर बिजली उत्पादकों का बकाया सितंबर में 28 प्रतिशत बढ़कर 1.38 लाख करोड़ रुपये हुआ

Edited By PTI News Agency,Updated: 08 Nov, 2020 11:03 AM

pti state story

नयी दिल्ली, आठ नवंबर (भाषा) बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का बकाया सितंबर, 2020 में सालाना आधार पर 28 प्रतिशत बढ़कर 1,38,479 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।

नयी दिल्ली, आठ नवंबर (भाषा) बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का बकाया सितंबर, 2020 में सालाना आधार पर 28 प्रतिशत बढ़कर 1,38,479 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
सितंबर, 2019 तक डिस्कॉम पर बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 1,07,930 करोड़ रुपये था। पेमेंट रैटिफिकेशन एंड एनालिसिस इन पावर प्रोक्यूरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपैरेंसी इन इन्वायसिंग ऑफ जेनरेशन (प्राप्ति) पोर्टल से यह जानकारी मिली है।
बिजली उत्पादकों तथा वितरकों के बीच बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए प्राप्ति पोर्टल मई, 2018 में शुरू किया गया था। सितंबर, 2020 तक 45 दिन की मियाद या ग्रेस की अवधि के बाद भी डिस्कॉम पर बकाया राशि 1,26,661 करोड़ रुपये थी। यह एक साल पहले 85,790 करोड़ रुपये थी।
पोर्टल के ताजा आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में कुल बकाया इससे पिछले महीने की तुलना में बढ़ा है। अगस्त में डिस्कॉम पर कुल बकाया 1,22,090 करोड़ रुपये था।
बिजली उत्पादक कंपनियां डिस्कॉम को बेची गई बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए 45 दिन का समय देती हैं। उसके बाद यह राशि पुराने बकाये में आ जाती है। ज्यादातर ऐसे मामलों में बिजली उत्पादक दंडात्मक ब्याज वसूलते हैं। बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत के लिए केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू है। इस व्यवस्था के तहत डिस्कॉम को बिजली आपूर्ति पाने के लिए साख पत्र देना होता है। केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को भी कुछ राहत दी है। कोविड-19 महामारी की वजह से डिस्कॉम को भुगतान में देरी के लिए दंडात्मक शुल्क को माफ कर दिया था।
सरकार ने मई में डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की योजना पेश की थी। इसके तहत बिजली वितरण कंपनियां पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन तथा आरईसी लिमिटेड से सस्ता कर्ज ले सकती हैं। इस पहल से बिजली उत्पादक कंपनियों को भी राहत मिलेगी। बाद में सरकार ने इस पैकेज का बढ़ाकर 1.2 लाख करोड़ रुपये कर दिया था।
आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, हरियाणा और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों का उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है।
भुगतान की मियाद की अवधि समाप्त होने के बाद सितंबर तक डिस्कॉम पर कुल 1,26,661 करोड़ रुपये का बकाया हैं। इसमें स्वतंत्र बिजली उत्पादकों का हिस्सा 32.79 प्रतिशत है। वहीं, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम की जेनको का बकाया 37.18 प्रतिशत है।
सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में अकेले एनटीपीसी को ही डिस्कॉम से 22,235.02 करोड़ रुपये वसूलने हैं। एनएलसी इंडिया का बकाया 6,770.20 करोड़ रुपये, दामोदर वैली कॉरपोरेशन का 5,662.10 करोड़ रुपये, एनएचपीसी का 3,579.06 करोड़ रुपये तथा टीएचडीसी इंडिया का बकाया 2,017.66 करोड़ रुपये है।

निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में अडाणी पावर का बकाया 20,153.16 करोड़ रुपये, बजाज समूह की ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी का 2,957 करोड़ रुपये, जीएमआर का 1,930.16 करोड़ रुपये और एसईएमबी (सेम्बकॉर्प) का 1,697.85 करोड़ रुपये है।
गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों मसलन सौर और पवन ऊर्जा कंपनियों का बकाया 10,680.28 करोड़ रुपये है।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!