बीते सप्ताह सरसों तेल तिलहन, सोयाबीन तेल और पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में सुधार, मूंगफली में गिरावट

Edited By PTI News Agency,Updated: 08 Nov, 2020 05:27 PM

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नयी दिल्ली, आठ नवंबर (भाषा) पाम तेल का आयात शुल्क मूल्य बाजार भाव से कम स्तर पर रखे जाने जाने के बाद दिल्ली तेल तिलहन बाजार में पिछले सप्ताह सीपीओ, पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल की कीमतों में सुधार आया।

नयी दिल्ली, आठ नवंबर (भाषा) पाम तेल का आयात शुल्क मूल्य बाजार भाव से कम स्तर पर रखे जाने जाने के बाद दिल्ली तेल तिलहन बाजार में पिछले सप्ताह सीपीओ, पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल की कीमतों में सुधार आया।

निर्यात मांग खत्म होने से मूंगफली दाना और मूंगफली में गिरावट आई। सामान्य कारोबार के बीच त्यौहारी मांग निकलने से सरसों तेल तिलहन में सुधार आया। सस्ते आयात के मुकाबले मांग कमजोर होने से जहां सोयाबीन दाना और सोयाबीचन लूज के भाव में गिरावट आई।
सोयाबीन तेल का आयात शुल्क मूल्य बाजार भाव से ऊंचा रखे जाने से इसकी कीमतों में सुधार आया।पाक्षिक समीक्षा में सरकार ने सोयाबीन तल का शुल्क-मूल्य 949 डालर प्रतिटन रखा जबकि विदेशों में कांडाला डिवरी भाव 890 डालर का चल रहा था।

इसके उलट पाम तेल का शुल्क निर्धारण के लिए मूल्य बढ़ा कर 782 डालर प्रति टन कर दिया जबकि कांडला डिलीवरी भाव 810 डालर का था। जिससे मलेशियायी व्यापारियों को फायदा हुआ ।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि आगरा की सलोनी मंडी में सरसों का भाव अपने पिछले सप्ताह के 6,650 रुपये से बढ़ाकर 6,675 रुपये क्विन्टल रहा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मौसम ठीक न होने के कारण अभी तक सरसों की बुवाई अपेक्षा से लगभग 30 प्रतिशत कम हुई है। इस स्थिति में सरसों दाना सहित इसके तेल कीमतों में सुधार आया। उन्होंने कहा कि इस साल किसानों को सरसों के अच्छा दाम मिलने से आगे बुवाई और बढ़ सकती है और इसलिए आगे बुवाई के रकबे में वृद्धि होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

सूत्रों ने कहा कि निर्यात की मांग न होने तथा मंडियों में आवक के बढ़ने तथा सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले महंगा होने के कारण मूंगफली दाना सहित इसके तेलमें गिरावट आई।

उन्होंने कहा कि मांग कमजोर होने और विदेशों से सस्ते आयात के कारण सोयाबीन दाना की मांग प्रभावित हुई और इसकी कीमतों में समीक्षाधीन सप्ताहांत में गिरावट देखने को मिली वहीं पूरी दुनिया में हल्के तेल की मांग बढ़ने और वैश्विक स्तर पर इस तेल की कमी के साथ ब्लेंडिंग के लिए मांग बढ़ने से सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार आया।
सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान सोयाबीन दाना और लूज की कीमतें कुल मिला कर क्रमश: 35 - 35 रुपये की गिरावट के साथ जहां क्रमश: 4,300-4,360 रुपये और 4,180-4,210 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं वहीं वैश्वकि स्तर पर हल्के तेलों की मांग बढ़ने से सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 250 रुपये, 150 रुपये और 300 रुपये सुधरकर 10,750 रुपये, 10,500 रुपये और 9,650 रुपये क्विन्टल पर बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि सहकारी संस्था, नाफेड हरियाणा में पिछले सप्ताह 5769 रुपये क्विन्टल के भाव सरसों दाना बेची थी उसकी शनिवार को 5,604 रुपये के भाव से बिक्री की है। सूत्रों ने कहा कि जब सरसों का हाजिर भाव ठीक चल रहा है जब नाफेड द्वारा कम भाव पर बिक्री करने का औचित्य समझ नहीं आता। अभी नयी फसल आने में चार माह पड़े हैं।

आलोच्य सप्ताह के दौरान घरेलू तेल-तिलहन बाजार में सरसों दाना (तिलहन फसल) पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 25 रुपये का सुधार दर्शाता 6,225-6,275 रुपये और सरसों तेल (दादरी) 20 रुपये के सुधार के साथ 12,300 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। सरसों पक्की घानी और सरसों कच्ची घानी की कीमतें भी 10-10 रुपये सुधरकर क्रमश: 1,865-2,015 रुपये और 1,985-2,095 रुपये प्रति टिन पर बंद हुईं।
मूंगफली की निर्यात मांग खत्म होने से पिछले सप्ताहांत के मुकाबले मूंगफली दाना 25 रुपये की गिरावट के साथ 5,250-5,300 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। इसके अलावा मूंगफली तेल गुजरात 100 रुपये की हानि दर्शाता 13,000 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ, जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड पांच रुपये की गिरावट दर्शाता 2,035-2,095 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
मलेशिया में सुधार के कारण समीक्षाधीन सप्ताहांत में सीपीओ, पामोलीन दिल्ली और पामोलीन एक्स-कांडला की कीमतें क्रमश: 400 रुपये, 500 रुपये और 550 रुपये के पर्याप्त सुधार के साथ क्रमश: 8,750 रुपये, 10,100 रुपये और 9,300 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं।

सूत्रों ने कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र में सूरजमुखी बीज उत्पादकों को एमएसपी से 20 प्रतिशत कम दाम मिल रहे हैं। इस ओर ध्यान दिये जाने की जरूरत है। यह स्थिति देश को तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता की राह पर ले जाने के लिहाज से अच्छा नहीं है। क्योंकि इससे एमएसपी के औचित्य पर प्रश्न खड़ा होता है।


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