वेदांता की विशेष उद्देश्यीय कंपनी ने बीपीसीएल के लिये रूचि पत्र जमा की,विदेशी कंपनियां भी दौड़ में

Edited By PTI News Agency,Updated: 18 Nov, 2020 08:04 PM

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नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) खनन क्षेत्र की कंपनी वेदांता ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने को लेकर प्रारंभिक रूचि पत्र (ईओआई) जमा की है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस हिस्सेदारी को खरीदने के लिये कई बड़ी विदेशी...

नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) खनन क्षेत्र की कंपनी वेदांता ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने को लेकर प्रारंभिक रूचि पत्र (ईओआई) जमा की है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस हिस्सेदारी को खरीदने के लिये कई बड़ी विदेशी कंपनियां भी दौड़ में शामिल हैं।

बीएसई में सूचीबद्ध वेदांता लि. और लंदन स्थित उसकी मूल कंपनी वेदांता रिर्सोसेज द्वारा गठित विशेष उद्देश्यीय कंपनी ने 16 नवंबर को समयसीमा समाप्त होने पहले रूचि पत्र जमा की। कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘‘बीपीसीएल के लिये वेदांता का ईओआई हमारे मौजूदा तेल और गैस कारोबार के साथ संभावित तालमेल को लेकर है। ईओआई अभी प्रारंभिक स्तर पर है....।’’
विभाग में बीपीसीएल में हिस्सेदारी बिक्री को देख रहे सूत्रों ने कहा कि वेदांता लि. और वेदांता रिर्सोसेज द्वारा गठित विशेष उद्देश्यीय कंपनी (एसपीवी) ने ईओआई जमा की है। सूत्रों ने यह भी कहा कि कई प्रमुख विदेशी कंपनियां भी तीन-चार इकाइयों में शामिल हैं, जिन्होंने बोली की समयसीमा 16 नवंबर को समाप्त होने से पहले ईओआई जमा की हैं।

अन्य संभावित निवेशकों में विदेशी कोष शामिल हैं। लेकिन उनके नामों का खुलासा फिलहाल नहीं किया गया है।

सरकार बीपीसीएल में अपनी पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिये 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। हालांकि पिछले साल नवंबर में रणनीतिक बिक्री की मंजूरी के बाद से बीपीसीएल का शेयर भाव करीब एक चौथाई नीचे आ गया है।

बुधवार को बीएसई में कंपनी का शेयर 382.20 रुपये प्रति इक्विटी पर बंद हुआ। इस हिसाब से सरकार की बीपीसीएल में 52.89 प्रतिशत हिस्सेदारी का मूल्य 44,000 करोड़ रुपये से अधिक बैठता है। इसके अलावा अधिग्रहणकर्ता को सार्वजनिक शेयरधारकों से 26 प्रतिशत और हिस्सेदारी खरीदने के लिये खुली पेशकश करनी होगी। इस पर करीब 21,600 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा।

सरकार ने बोली लगाने के समाप्ति के मौके पर कहा था कि कई रूचि पत्र प्राप्त हुए हैं। हालांकि, उसने बोली लगाने वालों के नाम नहीं बताये।

बीपीसीएल के लिये संभावित बोलीदाताओं में रिलायंस इंडस्ट्रीज का नाम लिया जाता था क्योंकि बीपीसीएल के अधिग्रहण से उसकी खुदरा ईंधन बाजार हिस्सेदारी में 22 प्रतिशत की वृद्धि होती। हालांकि कंपनी ने बोली नहीं लगायी है।

सऊदी अरब की तेल कंपनी सऊदी अरामको दुनिया के तीव्र वृद्धि वाले बाजार में प्रवेश को लेकर गंभीर है, लेकिन उसने भी रूचि पत्र जमा नहीं किया है।

ब्रिटेन की बीपी पीएलसी और फ्रांस की टोटल की भी भारत के ईंधन बाजार में प्रवेश की योजना है। लेकिन दोनों ने पूर्व में बीपीसीएल के लिये दौड़ में होने की बात से इनकार किया था। वे उस समय तेल रिफाइनिंग संपत्ति नहीं लेना चाहती, जहां दुनिया तरल ईंधन की जगह अन्य ईंधन को तरजीह दे रही हैं।

रूस की ऊर्जा कंपनी रोसनेफ्ट की अगुवाई वाली न्यारा एनर्जी बीपीसीएल के लिये संभावित बोलीदाता मानी जाती थी लेकिन पिछले महीने की रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने इसमें किसी प्रकार की रूचि होने से इनकार किया था।

अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) भी भारतीय बाजार को लेकर उत्साहित है और उसे बीपीसीएल के लिये संभावित बोलीदाता माना जाता रहा है। हालांकि फिलहाल यह पता नहीं चल पाया कि उसने रूचि पत्र जमा किया है या नहीं।
सूत्रों ने कहा कि सौदा सलाहकार अब बोलीदाताओं के रूचि पत्र का आकलन करेंगे और इस बात का पता लगाएंगे कि वे पात्रता मानदंड पूरा करते हैं या नहीं।

प्रक्रिया में दो-तीन सप्ताह का समय लग सकता है। उसके बाद अनुरोध प्रस्ताव जारी किया जाएगा और वित्तीय बेलियां आमंत्रित की जाएंगी।




यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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