दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने की गति उम्मीद से अधिक, संकुचन 7.5 प्रतिशत पर सीमित

Edited By PTI News Agency,Updated: 27 Nov, 2020 09:22 PM

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नयी दिल्ली, 27 नवंबर (भाषा) वैश्विक महामारी के संकट के बीच भारत की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में उम्मीद से बेहतर रहा है। ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र में तेजी से जीडीपी (सकल घरेलू...

नयी दिल्ली, 27 नवंबर (भाषा) वैश्विक महामारी के संकट के बीच भारत की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में उम्मीद से बेहतर रहा है। ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र में तेजी से जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में दूसरी तिमाही में केवल 7.5 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि इससे बड़े संकुचन का अनुमान लगाया जा रहा था।
आने वाले समय में बेहतर उपभोक्ता मांग से इसमें और सुधार की उम्मीद जतायी जा रही है।

कोरोना वायरस महामारी फैलने से रोकने के लिए लागू सख्त सार्वजनिक पाबंदियों के बीच चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही अप्रैल-जून में अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आयी थी। इसका कारण कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये ‘लॉकडाउन’ लगाया जाना था जिससे आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप हो गयी थी।

लगातार दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में संकुचन से भारत तकनीकी रूप से मंदी में आ गया है।

सांख्यिकी मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत का संकुचन हुआ। एक साल पहले 2019-20 की इसी तिमाही में इसमें 4.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
जून से ‘लॉकडाउन’ से जुड़ी पाबंदियों में ढील दिये जाने के बाद से अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहतर हो रही है। जुलाई-सितंबर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में 0.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि इससे पूर्व तिमाही में इसमें 39 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

कृषि क्षेत्र का पदर्शन बेहतर बना हुआ है और इसमें दूसरी तिमाही में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं बिजली और गैस क्षेत्र में 4.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी।

वित्तीय और रीयल एस्टेट सेवा में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 8.1 प्रतिशत की गिरावट आयी। वहीं व्यापार, होटल, परिवहन और संचार क्षेत्र में 15.6 प्रतिशत की गिरावट आयी।

अर्थव्यवस्था दूसरा सर्वाधिक रोजगार देने वाला निर्माण क्षेत्र में दूसरी तिमाही में केवल 8.6 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि पहली तिमाही में इसमें 50 प्रतिशत का संकुचन हुआ था।

सार्वजनिक व्यय में इस दौरान 12 प्रतिशत की कमी आयी।

वित्त वर्ष 2020-21 में बड़ी गिरावट का अनुमान जता रहे ज्यादातर विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों ने दूसरी तिमाही में भी बड़े संकुचन की आशंका जतायी थी।

उल्लेखनीय है कि चीन की आर्थिक वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 4.9 प्रतिशत रही। वहीं अप्रैल-जून तिमाही में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी 2020-21 की दूसरी तिमाही में 33.14 लाख करोड़ रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 35.84 लाख करोड़ रुपये था। यह 7.5 प्रतिशत संकुचन को बताता है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रमणियम ने कहा कि महामारी और पिछली तिमाही में बड़ी गिरावट को देखते हुए जीडीपी का आंकड़ा उत्साहजक है। उन्होंने निकट भविष्य के लिये परिदृश्य के बारे में कहा, ‘‘हमें सतर्क रहते हुए उम्मीद करनी चाहिए और कोरोना महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव को देखते हुए सतर्कता जरूरी है।’’ डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रूमकी मजूमदार ने कहा कि पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स), बिजली खपत, माल ढुलाई जैसे हाल के आंकड़ों को देखते हुए आने वाले समय में तेजी से सुधार की संभावना है।

उन्होंने कहा, ‘‘जल्दी ही कई प्रभावी टीके आने की संभावना से एक उम्मीद बंधी है कि महामारी देर-सबेर खत्म होगी।’’
रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के मयूर द्विवेदी ने कहा कि आंकड़ा बेहतर है और अब यह देखना है कि यह गति आगे बनी रहती है या नहीं।

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में देखा जाए तो भारत के जीडीपी में संकुचन 15.7 प्रतिशत रहा जबकि एक साल पहले इसी अवधि में इसमें 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

हालांकि 1996 के रिकार्ड के आधार पर जुलाई-सितंबर तिमाही में गिरावट के साथ भारत तकनीकी रूप से मंदी में आ गया है लेकिन अनुमान के विपरीत बेहतर सुधार से चालू वित्त वर्ष के समाप्त होने से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति कुछ सुधने की उम्मीद है।

विश्लेषकों ने अनुमान जताया कि है कि पुनरूद्धार तेजी से (V आकार) होगा।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा था कि ‘लॉकडाउन’ के बाद से पुनरूद्धार उम्मीद की तुलना में तेज है और चौथी तिमाही में वृद्धि दर सकारात्मक रह सकती है।

दूसरी तिमाही के बाद त्योहारों के दौरान वाहन, गैर-उपभोक्ता और रेल माल ढुलाई में तेजी दर्ज की गयी है। इसका कारण कोविड-19 टीका के अगले साल की शुरूआत में आने की संभावना है।
हालांकि कुछ राज्यों में संक्रमण के फिर से बढ़ते मामलों को देखते हुए लगायी जा रही कुछ पाबंदियों से अर्थव्यवस्था के नीचे जाने का भी जोखिम है। इससे पुनरूद्धार की गति अगले दो-तीन महीने धीमी पड़ सकती है। साथ ही महंगाई दर बढ़ने की आशंका है।

भारत में कोराना वायरस संक्रमितों की संख्या 93 लाख को पार कर गयी है और इस मामले में दुनिया में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। वहीं 1.35 लाख लोगों की मौत हुई है।

अर्थव्यवस्था में सुधार की खबर आरबीआई की अगले सप्ताह पेश होने वाली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले आयी है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि अर्थव्यवस्था में पुनरूद्धार एक सुखद आश्चर्य देने वाला है।

उन्होंने कहा, ‘‘विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि बताता है कि मांग की अगुवाई में पुनद्धार हो रहा है।’’
वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि जीडीपी का दूसरी तिमाही का आंकड़ा अर्थव्यवस्था में पुनरूद्धार को बताता है।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने प्रोत्साहन देने और सुधारों को लेकर जो कदम उठाये हैं, उसका परिणाम दिख रहा है। उम्मीद है, वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी छमाही में वृद्धि दर सकारात्मक होगी और 2021-22 में दहाई अंक में होगी।

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कहा कि आने वाले समय में चीजें इस बात पर निर्भर करेगी कि अक्टूबर में जो खपत को लेकर मांग दिखी, वह बनी रहती है या नहीं।

उसने कहा, ‘‘अगर मांग बनी रहती है, तीव्र पुनरूद्धार संभव है। लेकिन कोविड-19 के बढ़ते मामले और कुछ राज्यों में पाबंदियों के संकेत से पुनरूद्धार की गति को झटका लग सकता है।’’
एक अन्य सरकारी आंकड़े के अनुसार राजकोषीय घाटा अप्रैल-अक्टूबर 2020 के दौरान 9.53 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया जो 2020-21 के लक्ष्य का 119.7 प्रतिशत है।

एक साल पहले 2019-20 की इसी अवधि में यह बजटीय अनुमान का 7.96 लाख करोड़ रुपये था।




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