सीपीओ में गिरावट, सरसों, सोयाबीन सहित बाकी तेल तिलहन कीमतों में सुधार

Edited By PTI News Agency,Updated: 27 Nov, 2020 10:13 PM

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नयी दिल्ली, 27 नवंबर (भाषा) सरकार द्वारा बृहस्पतिवार को पाम तेल (सीपीओ) पर आयात शुल्क को घटाने के फैसले के बाद शुक्रवार को दिल्ली तेल तिलहन बाजार में कच्चा पामतेल (सीपीओ) की कीमत में 200 रुपये प्रति क्विन्टल की गिरावट आई जबकि पूरे विश्व में...

नयी दिल्ली, 27 नवंबर (भाषा) सरकार द्वारा बृहस्पतिवार को पाम तेल (सीपीओ) पर आयात शुल्क को घटाने के फैसले के बाद शुक्रवार को दिल्ली तेल तिलहन बाजार में कच्चा पामतेल (सीपीओ) की कीमत में 200 रुपये प्रति क्विन्टल की गिरावट आई जबकि पूरे विश्व में हल्के तेलों की मांग बढ़ने के बीच यहां सरसों सहित अन्य सभी तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि सरकार ने 26 नवंबर को सीपीओ के आयात शुल्क को 37.5 प्रतिशत से घटाकर 27.5 प्रतिशत कर दिया जिससे सीपीओ के भाव में गिरावट आई। सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क में की गई इस कमी का उपभोक्ता या किसी अन्य को कोई फायदा नहीं मिला क्योंकि मलेशिया में इस तेल के दाम उसी अनुपात में बढ़ा दिये गये।

दूसरी ओर हर पखवाड़े जिस आयात शुल्क मूल्य का निर्धारण किया जाता है उसमें सीपीओ के आयात शुल्क मूल्य को 847 डॉलर से बढ़ाकर 904 डॉलर प्रति टन कर दिया गया है। जबकि सोयाबीन डीगम का आयात शुल्क मूल्य 957 डॉलर से बढ़ाकर 1,067 डॉलर प्रति टन किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से आयातक खुश हैं क्योंकि इस बार इसे बाजार भाव के हिसाब से बढ़ाया गया है।

सूत्रों ने कहा कि मध्य प्रदेश में बीज के रूप में इस्तेमाल के लिए माल महाराष्ट्र लिया जा रहा है जिसके कारण सोयाबीन का बाजार सुधरा है। दूसरी ओर विदेशों में सोयाबीन खली की निर्यात मांग बढ़ने से भी यहां सोयाबीन दाना सहित इसके तेल कीमतों में सुधार आया।

उन्होंने कहा कि सोयाबीन डीगम तेल के महंगा होने के कारण देश में सरसों तेलों की मांग बढ़ी है। उन्होंने कहा कि इसका उपभोक्ताओं के लिए एक और फायदा यह है कि सरसों में अब सोयाबीन डीगम से तैयार होने वाले सोया डीयो तेल की ‘ब्लेंडिंग’ रुकेगी क्योंकि सोयाबीन डीगम, सरसों तेल के मुकाबले महंगा बैठ रहा है।

उन्होंने कहा कि विदेशो में साफ्ट आयल की बढ़ती मांग को देखते हुए सहकारी संस्था नाफेड को सरसों की बहुत ही विवेकपूर्ण ढंग से बिकवाली करनी होगी क्योंकि जाड़े के मौसम की मांग के साथ अगले जनवरी फरवरी में मांग काफी बढ़ सकती है।

उन्होंने कहा कि शुक्रवार को शिकागो एक्सचेंज 1.5 प्रतिशत की तेजी लिए खुला जबकि मलेशिया में 3.5 प्रतिशत की तेजी है।

उन्होंने कहा कि सरकार को आयातित तेलों के शुल्क को कम नहीं करना चाहिये क्योंकि विदेशों में उसी अनुपात में ऐसे तेलों के दाम बढ़ा दिये जाते हैं और इससे शुल्क घटाने के बाद तेल सस्ता होने की अपेक्षा पूरी नहीं होती है।

हल्के तेलों की वैश्विक मांग बढ़ने के बीच देश में उपभोक्ताओं की जाड़े में भुने मूंगफली खाने के लिए मांग होने के अलावा स्थानीय घरेलू मांग बढ़ने से मूंगफली तेल तिलहन कीमतों में भी पर्याप्त सुधार देखने को मिला।

तेल-तिलहन बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन - 6,185 - 6,235 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना - 5,465- 5,515 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 14,000 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,160 - 2,220 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 12,100 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,855 - 2,005 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,975 - 2,085 रुपये प्रति टिन।

तिल मिल डिलिवरी तेल- 11,000 - 15,000 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,700 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,400 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम- 10,500 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,800 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,050 रुपये।

पामोलीन आरबीडी दिल्ली- 10,300 रुपये।

पामोलीन कांडला- 9,500 रुपये (बिना जीएसटी के)।

सोयाबीन तिलहन मिल डिलिवरी भाव 4,550 - 4,600 लूज में 4,285 -- 4,315 रुपये।

मक्का खल (सरिस्का) - 3,500 रुपये।


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