Edited By PTI News Agency,Updated: 20 Jan, 2021 09:08 PM
नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि न्याधिकरण (एनसीएलटी) भूमि-भवन का कारोबार करने वाली दिल्ली की ओमैक्स लि. में उत्पीड़न और कुप्रबंधन की शिकायत को लेकर दायर एक याचिका को सुनने को तैयार है।
नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि न्याधिकरण (एनसीएलटी) भूमि-भवन का कारोबार करने वाली दिल्ली की ओमैक्स लि. में उत्पीड़न और कुप्रबंधन की शिकायत को लेकर दायर एक याचिका को सुनने को तैयार है।
यह मामला ओमैक्स के पूर्व प्रबंध निदेशक सुनील गोयल और उनकी पत्नी ने दायर किया है। उन्होंने कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक रोहतास गोयल के खिलाफ कंपनी में वित्तीय कुप्रबंधन और फर्जी लेनदेन का आरोप लगाते हुए यह शिकायत दायर की है।
एनसीएलटी की चंडीगढ़ पीठ ने कंपनी के विरुद्ध इस मामले को ‘असाधारण’ और ‘विकट परिस्थिति’ वाला बताते हुए इसे सुनवाई के लिए दाखिल करने की छूट दी। पीठ ने इसके लिए कंपनी अधिनियम की धारा 244 के तहत मामला दाखिल करने की कसौटियों में ढील दी है।
न्यायाधिकरण ने 12 जनवरी के अपने आदेश में टिप्पणी की है कि गोयल सहित शिकायत करने वाले ये व्यक्ति ओमैक्स लि के शेयरधारक और प्रबंध निदेशक हैं। उनका हित उसकी धारक कंपनी गिल्ड बिल्डर्स के साथ भी जुड़ा है।
धारा 241 के तहत कंपनी का कोई सदस्य अत्याचार के आरोप में किसी अल्पांश शेयरधारक के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं करा सकता। एनसीएलटी की पीठ ने शिकायत की छूट देते हुए कहा कि व्यक्तिगत रूप से प्रार्थियों की शेयरधारिता 10 प्रतिशत से नीचे ही है। उनकी हिस्सेदारी जोड़ने पर भी वह धारा 244 में निर्धारित वर्जना की सीमा को पार नहीं करेगी।
सुनील गोयल ने कहा है कि उन्हें 27 सितंबर 2017 को कंपनी की 28वीं वार्षिक साधारण सभा में गैरकानूनी तरीके से संयुक्त प्रबंध निदेशक के पद से हटा दिया गया। उनका यह भी आरोप है कि उन्हें कंपनी की वार्षिक बैठक में शामिल होने से गैरकानूनी तरीके से रोका जा रहा है। उन्हें धमकी दी जाती है और उनके साथ जोर जबरदस्ती की जाती है।
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