Edited By PTI News Agency,Updated: 16 Feb, 2021 08:13 PM
नयी दिल्ली, 16 फरवरी (भाषा) केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मंगलवार को हरियाणा के मंत्रियों जेपी दलाल और अनिल विज को तत्काल बर्खास्त करने की मांग करते हुए उन्हें ‘‘किसान...
नयी दिल्ली, 16 फरवरी (भाषा) केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मंगलवार को हरियाणा के मंत्रियों जेपी दलाल और अनिल विज को तत्काल बर्खास्त करने की मांग करते हुए उन्हें ‘‘किसान विरोधी’’ बताया।
विभिन्न विरोध प्रदर्शन स्थलों पर हुई किसानों की मौत पर हरियाणा के कृषि मंत्री जे. पी. दलाल ने शनिवार को विवादास्पद बयान देते हुए कहा था कि वे (किसान) घर पर रहते तब भी उनकी मौत हो जाती।
दलाल ‘‘200 किसानों की मौत’’ को लेकर भिवानी में पत्रकारों के एक सवाल का जवाब देते हुए यह बयान दिया था।
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने सोमवार को कहा था कि 'देश विरोध का बीज जहां कहीं भी हो उसका समूल नाश कर देना चाहिए।'
विज ने यह टिप्पणी पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी के दो दिन बाद की थी। दिशा रवि को सोशल मीडिया पर किसानों के प्रदर्शन से संबंधित 'टूलकिट' कथित रूप से साझा करने को लेकर गिरफ्तार किया गया है।
भाजपा नेता विज ने ट्वीट किया था, ‘‘देश विरोध का बीज जिस किसी के भी दिमाग में हो उस बीज को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिये फिर चाहे वह दिशा रवि हो या कोई और।’’
किसान नेता दर्शन पाल ने दलाल और विज जैसे ‘‘किसान विरोधी मंत्रियों’’ को तत्काल बर्खास्त करने की मांग करते हुए कहा, ‘‘हरियाणा में महापंचायतें इस आशय के प्रस्तावों को अपना रही हैं और उन्होंने प्रस्ताव की प्रतियां हरियाणा के मुख्यमंत्री और राज्यपाल को भी भेजी हैं।’’
विभिन्न किसान यूनियनों के नेताओं ने आज सर छोटू राम को सम्मानपूर्वक याद करते हुए सर छोटू राम की मेहनत और प्रतिबद्धता की सराहना की और कहा कि उन्होंने कुछ बुनियादी अधिकारों को हासिल करने की दिशा में कृषक समुदायों को निर्देशित और लामबंद किया।
एसकेएम ने एक बयान में कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश के किसानों ने बताया है कि महंगाई बढ़ने के बीच गन्ने की कीमतें भी स्थिर बनी हुई हैं, और यहां तक कि गन्ना किसानों के लिए लंबित बकाया भी अकेले उत्तर प्रदेश में लगभग 12000 करोड़ रुपये है। उत्तर प्रदेश सरकार की किसान विरोधी नीतियां बहुत स्पष्ट हैं और अधिक किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की उम्मीद है।’’
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