सरसों तेल तिलहहन, सोयाबीन तेल तथा सीपीओ एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट

Edited By PTI News Agency,Updated: 04 Mar, 2021 08:27 PM

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नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बावजूद स्थानीय वायदा कारोबार में बृहस्पतिवार को खाद्य तेलों के भाव टूटने से सोयाबीन और सीपीओ तेल कीमतों में गिरावट का रुख रहा जिसकी वजह से बाकी खाद्य तेलों के भाव भी नरम रहे।...

नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बावजूद स्थानीय वायदा कारोबार में बृहस्पतिवार को खाद्य तेलों के भाव टूटने से सोयाबीन और सीपीओ तेल कीमतों में गिरावट का रुख रहा जिसकी वजह से बाकी खाद्य तेलों के भाव भी नरम रहे। स्थानीय मांग प्रभावित होने से सोयाबीन तेल, सीपीओ एवं पामोलीन, बिनौला तेल तथा सरसों तेल तिलहन कीमतों में गिरावट आई।

बाजार सूत्रों ने कहा कि कुछ बड़ी तेल कंपनियों के मलेशिया और अर्जेन्टीना में प्रसंस्करण की मिलें हैं और वे अपने फायदे के लिए जानबूझकर वायदा कारोबार के माध्यम से तेल कीमतों में घट बढ़ लाती हैं। आयातक जिस भाव पर तेल का आयात करते हैं वहीं वायदा कारोबार में उन तेलों के भाव लगभग 1,000 रुपये क्विन्टल नीचे चलाया जाता है। इस उतार चढ़ाव के जरिये वे खुदरा कारोबारियों, तेल आयातकों और देश के तिलहन किसानों को तबाह करते हैं ताकि देश खाद्य तेल उत्पादन के मामले में कभी आत्मनिर्भर न बन सके। उन्होंने कहा कि तेल तिलहन उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार के तमाम प्रयासों पर पानी फेरने की कोशिशों पर प्रभावी अंकुश लगाने की आवश्यकता है।

मलेशिया एक्सचेंज में 1.25 प्रतिशत तथा शिकागो एक्सचेंज में लगभग चार प्रतिशत की तेजी थी।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन रिफाइंड का भाव आयात करने पर भाड़ा जोड़कर 12,600 रुपये क्विन्टल बैठता है जबकि वायदा कारोबार में भाव 11,500 रुपये क्विन्टल चलाया जा रहा है। सबसे मजेदार बात यह है कि तेल कीमतों में कमी का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं मिलता बल्कि ऊंचे भाव पर उन्हें इन तेलों को खरीदना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि मलेशिया जैसे देश में तेल रखने की जगह न होने और निर्यात मांग कम होने के बावजूद तेलों के भाव अधिक हैं और अपनी घरेलू आवश्यकताओं के लिए लगभग 70 प्रतिशत खाद्य तेलों के आयात पर निर्भर करने वाले देश, भारत में खाद्य तेलों के बाजार भाव आयात के खर्च से कहीं काफी नीचे होते हैं। इस पहेली को सुलझाा लिया गया तो तेल के मामले में हम सही मायने में आत्मनिर्भर होने की ओर बढ़ सकेंगे।

उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से वायदा कारोबार में भाव कमजोर होने से सरसों, बिनौला, सोयाबीन तेल, सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतें कमजोर रहीं। जबकि निर्यात के लिए सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की अच्छी मांग होने से सोयाबीन दाना और लूज के भाव पूर्ववत रहे।

सामान्य कारोबार के बीच अधिकांश तेल तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन - 5,900 - 5,950 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना - 6,020- 6,085 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 14,850 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,380 - 2,440 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,920 -2,010 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,050 - 2,165 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 13,500 - 16,500 रुपये।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,700 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,500 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,450 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला- 10,500 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,800 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,300 रुपये।

पामोलिन कांडला 11,400 (बिना जीएसटी के)
सोयाबीन तिलहन मिल डिलिवरी 5,360 - 5,410 रुपये,
लूज में 5,210- 5,260 रुपये
मक्का खल (सरिस्का) 3,530 रुपये


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