Edited By PTI News Agency,Updated: 08 Apr, 2021 06:21 PM
नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों से अगर ढील दी जाती है, भारत उसी समय वहां से तेल फिर से खरीदने पर विचार करेगा। इससे भारत को अपने आयात के स्रोत को विविध रूप देने में मदद मिलेगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह कहा।
नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों से अगर ढील दी जाती है, भारत उसी समय वहां से तेल फिर से खरीदने पर विचार करेगा। इससे भारत को अपने आयात के स्रोत को विविध रूप देने में मदद मिलेगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह कहा।
ईरान पर अमेरिकी सरकार की पाबंदियों के बाद भारत ने 2019 के मध्य में वहां से तेल आयात रोक दिया।
ईरान परमाणु समझौते को दोबारा से पटरी पर लाने के इरादे से अमेरिका और दुनिया के अन्य ताकतवर देशों की विएना में बैठक हो रही है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘एक बार प्रतिबंध हट जाता है, हम ईरान से तेल आयात पर विचार कर सकते हैं।’’
उसने कहा कि भारतीय रिफाइनरी कंपनियों ने इस संदर्भ में तैयारी शुरू कर दी है और वे प्रतिबंध हटते ही अनुबंध कर सकती हैं।
ईरान से तेल आते ही न केवल बाजार में दाम नरम होंगे बल्कि इससे भारत को आयात स्रोत को विविध रूप देने में भी मदद मिलेगी।
वित्त वर्ष 2020-21 में इराक भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता रहा। उसके बाद सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात का स्थान रहा। नाइजीरिया चौथे तथा अमेरिका का स्थान पांचवां था।
अधिकारी ने कहा, ‘‘हम तेल उत्पादक देशों से उत्पादन सीमा हटाकर उत्पादन बढ़ाने की मांग करते रहे हैं...तेल के दाम में वृद्धि भारत समेत दुनिया के आर्थिक पुनरूद्धार के लिये खतरा है।’’
अपनी जरूरतों का 85 प्रतिशत से अधिक आयात करता है। भारत एक समय ईरान का दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक था। ईरान के कच्चे तेल से कई लाभ हैं। इसमें यात्रा मार्ग छोटा होने से माल ढुलाई लागत में कमी होती है तथा भुगतान के लिये लंबा समय मिलता है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 2018 में ईरान पर पाबंदी लगाये जाने के बाद से वहां से निर्यात घटता चला गया। पाबंदी से भारत समेत कुछ देशों को छूट दी गयी थी, जो 2019 में समाप्त हो गयी।
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