इलेक्ट्रिक वाहन नीति में बदलाव कर इसे अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत : हीरो इलेक्ट्रिक

Edited By PTI News Agency,Updated: 11 Apr, 2021 01:00 PM

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नयी दिल्ली, 11 अप्रैल (भाषा) देश की इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति को ‘पुनर्गठित’ करने ओर इसमें ‘बदलाव’ लाने की जरूरत है, जिससे इसे अधिक दक्ष बनाया जा सके। देश की प्रमुख इलेक्ट्रिक दोपहिया कंपनी हीरो इलेक्ट्रिक ने यह राय जताई है। कंपनी का कहना है...

नयी दिल्ली, 11 अप्रैल (भाषा) देश की इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति को ‘पुनर्गठित’ करने ओर इसमें ‘बदलाव’ लाने की जरूरत है, जिससे इसे अधिक दक्ष बनाया जा सके। देश की प्रमुख इलेक्ट्रिक दोपहिया कंपनी हीरो इलेक्ट्रिक ने यह राय जताई है। कंपनी का कहना है कि इलेक्ट्रिक वाहन नीति में बदलाव कर वांछित बिक्री लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
अप्रैल, 2019 में पेश की गई भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण की योजना-दो (फेम-दो) के तहत मार्च, 2022 तक कम से कम 10 लाख द्रुत गति के इलेक्ट्रिक दोपहया को सड़कों पर लाने का लक्ष्य है। इस नीति को आए दो साल हो गए हैं, लेकिन अब तक सिर्फ 60,000 इलेक्ट्रिक दोपहिया सड़कों पर आए हैं। 2020 में देश में सिर्फ 25,735 द्रुत गति के इलेक्ट्रिक दोपहिया बिके थे।
हीरो इलेक्ट्रिक के प्रबंध निदेशक नवीन मुंजाल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘इस नीति के दो साल बीते चुके हैं और एक साल शेष हैं। लेकिन अब तक इससे सिर्फ 60,000 वाहनों को लाभ हुआ है। अभी तक यह आंकड़ा छह लाख से अधिक होना चाहिए था। ऐसे में कुछ ऐसा है जो काम नहीं कर रहा। इसके मद्देनजर नीति में बदलाव की जरूरत है।’’
फेम-दो के दूसरे चरण के तहत अधिकतम कारखाना मूल्य वाले 10 लाख पंजीकृत इलेक्ट्रिक वाहन 20,000 (प्रत्येक) रुपये का प्रोत्साहन पाने के पात्र हैं। अभी सिर्फ तेज रफ्तार इलेक्ट्रिक दोपहिया ही फेम-दो योजना का लाभ ले सकते हैं।
मुंजाल ने कहा, ‘‘यह इस तरह है कि यदि हम देखते हैं कि लक्ष्य प्राप्त हो रहा है, तो हम नया उत्पाद या नया प्रकाशन लाते हैं। यदि ऐसा नहीं है, तो हम चीजों में कुछ बदलाव करते हैं। इसी तरह इस नीति में भी बदलाव करने की जरूरत है, क्योंकि मौजूदा रूप में यह वैसा काम नहीं कर रही है, जैसा करने की जरूरत थी।’’
उन्होंने कहा कि नीति में कई चीजों मसलन गति, दायरे आदि को शामिल किया गया है, जिससे क्षेत्र की वृद्धि प्रभावित हो रही है। ‘यदि आप गति, दायरे आदि को लेकर काफी मानदंड तय कर देते हैं, तो यह सही तरीका नहीं है। यदि निश्चित संख्या में इंटरनल कम्बशन इंजनों को इलेक्ट्रिक में बदलना चाहते हैं, तो आप सब्सिडी का भुगतान शुरुआत में ही कर दें।’’


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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