Edited By PTI News Agency,Updated: 13 Apr, 2021 10:22 PM
नयी दिल्ली, 13 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने मंगलवार को व्यवस्था दी कि दिवाला प्रक्रिया के तहत रखी गयी कंपनियां कंपनियां आवंटित किए गए स्पेक्ट्रम पर अधिकार का तब तक दावा नहीं कर सकतीं जब तक कि उन्होंने...
नयी दिल्ली, 13 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने मंगलवार को व्यवस्था दी कि दिवाला प्रक्रिया के तहत रखी गयी कंपनियां कंपनियां आवंटित किए गए स्पेक्ट्रम पर अधिकार का तब तक दावा नहीं कर सकतीं जब तक कि उन्होंने सरकार को उसके इस्तेमाल के लिए शुल्क का पूरा भुगतान नहीं कर दिया हो। न्यायाधिकरण ने कहा कि स्पेक्ट्रम प्रकृतक संसाधन है।
कर्ज नहीं चुका पा रही कई दूरसंचार कंपनियों दिवाला कानून के तहत ऋण समाधान की कार्रवाई चल रही है।ऐसे में एनसीएलएटी का यह फैसला काफी उल्लेखनीय है। न्यायाधिकरण की तीन सदस्यीय पीठ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि ऋणदाता या बैंक स्पेक्ट्रम को गिरवी की संपत्ति पर कानूनी अधिकार नहीं जता सकते।
एनसीएलएटी ने कहा कि दूरसंचार सेवाप्रदाताओं को उन्हें मिले लाइसेंस के तहत स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल का अधिकार है, लेकिन वे उसके मालिक नहीं हैं। उनके पास स्पेक्ट्रम सिर्फ इस्तेमाल के लिए है।
एनसीएलएटी के कार्यवाहक चेयरपर्सन न्यायमूर्ति बी एल भट की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, ‘‘स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल सरकार को इसके लिए जरूरी भुगतान के बिना नहीं किया जा सकता। इसे कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के तहत समाप्त नहीं किया जा सकता।’’
दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत सीआईआरपी शुरू किया जाता है। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मंजूरी के बाद ही यह प्रक्रिया शुरू होती है। किसी विवाद की स्थिति में मामला एनसीएलएटी में जाता है।
एनसीएलएटी ने यह फैसला कर्ज के बोझ से दबी डिशनेट वायरलेस लि. और एयरसेल सेल्युलर लि. से संबंधित 10 याचिकाओं पर दिया है। ये कंपनियां फिलहाल दिवाला प्रक्रिया में हैं।
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