Edited By PTI News Agency,Updated: 16 Apr, 2021 08:49 PM
नयी दिल्ली, 16 अप्रैल (भाषा) संसद की एक समिति ने कहा है कि कोयला मंत्रालय ने ‘कोल माइंस प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन’ (सीएमपीएफओ) की निगरानी की अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभाई और उसने सतर्कता रखी होती तो संगठन में वित्तीय अनियमितताएं टाली जा सकती...
नयी दिल्ली, 16 अप्रैल (भाषा) संसद की एक समिति ने कहा है कि कोयला मंत्रालय ने ‘कोल माइंस प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन’ (सीएमपीएफओ) की निगरानी की अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभाई और उसने सतर्कता रखी होती तो संगठन में वित्तीय अनियमितताएं टाली जा सकती थीं।
सीएमपीएफओ कोयला खदान श्रमिकों के भविष्य निधि (ईपीएफ) का प्रबंध करता है।
कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति (पीएसी) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘समिति (पीएसी) ने इस बात का संज्ञान लिया है कि कोयला मंत्रालय स्पष्ट रूप से अपनी नोडल प्रशासनिक भूमिका का निर्वहन करने में पीछे रहा, जिसके परिणामस्वरूप सीएमपीएफओ में वित्तीय कूप्रबंधन फैला।’’
समिति के प्रतिवदेन में कहा गया है कि हालांकि, सीएमपीएफओ को काम करने की स्वायत्तता प्राप्त है, लेकिन प्रशासनिक मंत्रालय संगठन को दी गई स्वायत्तता के आधार पर अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही से दूर नहीं हो सकता है।
समिति ने इस भविष्य निधि कोष पर कोयला मंत्रालय की ओर से हर समय पर्याप्त निगरानी और नोडल मंत्रालय होने के नाते अपनी प्रशासनिक और पर्यवेक्षी भूमिका का निर्वहन किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया है।
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