कोविड की दूसरी लहर सुनामी है: दिल्ली उच्च न्यायालय

Edited By PTI News Agency,Updated: 24 Apr, 2021 06:48 PM

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नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मई के मध्य में कोविड-19 की दूसरी लहर की चरम स्थिति आने की आशंका से निपटने की तैयारियों के बारे में केंद्र से जानकारी मांगते हुए मामलों की संख्या में तेजी से वृद्धि को ‘सुनामी’ बताया और आगाह...

नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मई के मध्य में कोविड-19 की दूसरी लहर की चरम स्थिति आने की आशंका से निपटने की तैयारियों के बारे में केंद्र से जानकारी मांगते हुए मामलों की संख्या में तेजी से वृद्धि को ‘सुनामी’ बताया और आगाह किया कि वह यहां अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में अड़चन पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति को ‘लटका’ देगा।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने उक्त टिप्पणी दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में बढ़ते ऑक्सीजन संकट के मुद्दे पर अवकाश वाले दिन सुनवाई करते हुए की।
अदालत ने कहा कि संक्रामक रोग की मृत्यु दर कम है और जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है उनकी इस बीमारी से मौत होगी, लेकिन समस्या यह है कि जिन लोगों को बचाया जा सकता था, वे भी मर रहे हैं।

पीठ ने कहा, “ मृत्यु दर को कम करने की आवश्यकता है।”
कानपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के वैज्ञानिकों की एक टीम के अध्ययन का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि उसका आकलन है कि कोविड की इस लहर की चरम स्थिति मई के मध्य में आएगी।
अदालत ने कहा, “ हम इसे लहर कह रहे हैं, यह असल में एक सुनामी है।”
इसके साथ अदालत ने चरम स्थिति आने पर केंद्र से अवसंरचना, अस्पताल, चिकित्सा कर्मियों, दवाई, टीका और ऑक्सीजन के आशय में तैयारियों को लेकर सवाल किया।
पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार से मामले की सुनवाई की अगली तारीख 26 अप्रैल को एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा जिसमें कोविड महामारी की चरम स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में चिकित्सा अवसंरचना को बढ़ाने के बारे में जानकारी हो जैसे बिस्तर, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, चिकित्सा कर्मी और दवाइयां।
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मई और जून में मामलों की संख्या में तेज बढ़ोतरी हो सकती है और देश को बदतर स्थिति के लिए तैयार रहने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और अन्य इस पर काम कर रहे हैं और ऑक्सीजन आयात करने का फैसला किया गया है और जहां भी संभव हो, वहां से ऑक्सीजन उत्पन्न करने की सम्भावना तलाश की जा रही है।

अदालत गंभीर रूप से बीमार कोविड मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की कमी को लेकर महाराजा अग्रसेन अस्पताल, जयपुर गोल्डन अस्पताल, बत्रा अस्पताल और सरोज सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल के वकील के अभिवेदनों पर सुनवाई कर रही थी।
अदालत ने दिल्ली सरकार से केंद्र, राज्य या स्थानीय प्रशासन के किसी भी अधिकारी द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति को बाधित करने के एक उदाहरण के बारे में बताने को कहा है। पीठ ने कहा, “आप सब आश्वस्त रहें कि हम उस व्यक्ति को लटका देंगे। हम किसी को भी नहीं छोड़ेंगे। ”
अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह स्थानीय प्रशासन के ऐसे अधिकारियों के बारे में केंद्र को भी बताए ताकि वह उनके खिलाफ कार्रवाई कर सके।

पीठ ने कहा कि इन अस्पतालों को ऑक्सीजन की बेहद जरूरत है जिनका दावा है कि उनके यहां ऑक्सीजन कुछ घंटों में खत्म हो जाएगी। अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा कि प्राप्त ऑक्सीजन का वितरण करने के दौरान याचिकाकर्ता अस्पतालों की जरूरतों को ध्यान में रखे।
उच्च न्यायालय ने केंद्र से भी सवाल किया कि दिल्ली के लिए आवंटित प्रतिदिन 480 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उसे कब मिलेगी?
अदालत ने कहा, “ आपने (केंद्र ने) हमें (21 अप्रैल को) आश्वस्त किया था कि दिल्ली में प्रतिदिन 480 मीट्रिक टन ऑक्सीजन पहुंचेगी। हमें बताएं कि यह कब आएगी? हम एक निश्चित तारीख जानना चाहते हैं। 480 मीट्रिक टन ऑक्सीजन अभी मिलनी है।”
अदालत ने कहा कि दिल्ली के नागरिकों को इस तरह से मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है।

दिल्ली सरकार ने अदालत को सूचित किया कि उसे पिछले कुछ दिनों से प्रतिदिन सिर्फ 380 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ही मिल रही है और शुक्रवार को उसे करीब 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिली थी। इसके बाद अदालत ने केंद्र से सवाल किया।

केंद्र सरकार ने कहा कि ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी का एक कारण यह भी है कि दिल्ली सरकार तरल ऑक्सीजन को लेने के लिए टैंकर मुहैया नहीं करा रही है।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने अदालत को बताया कि दिल्ली औद्योगिक राज्य नहीं है और उसकी ऐसे टैंकरों तक पहुंच नहीं है।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि विभिन्न राज्य मौजूदा टैंकरों में बदलाव कर उनमें ऑक्सीजन का भंडारण करने का प्रबंध कर रहे हैं या अन्य स्रोतो से टैंकरों को प्राप्त कर रहे हैं और दिल्ली सरकार को इस दिशा में कोशिश करनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान, अदालत ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों से भी सवाल किया कि उन्होंने केंद्र द्वारा राष्ट्रीय राजधानी को आवंटित ऑक्सीजन की आपूर्ति हासिल करने के लिए टैंकरों को प्राप्त करने की खातिर क्या कोशिशें की हैं?
अदालत ने दिल्ली सरकार से टैंकरों को प्राप्त करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया और कहा कि उसे यह पूरी तरह से केंद्र सरकार पर नहीं छोड़ना चाहिए।
पीठ ने कहा कि केंद्र और दिल्ली सरकार को इस मुद्दे पर मिलकर काम करना चाहिए।

अदालत ने दिल्ली सरकार से ऑक्सीजन के लिए राष्ट्रीय आवंटन योजना पर विचार करने और इस पर फिर से काम करने के लिए सुझाव देने को कहा ताकि राष्ट्रीय राजधानी आसपास के स्रोतों से ऑक्सीजन हासिल कर पाए।



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