बीते सप्ताह सरसों, मूंगफली, सोयाबीन में सुधार, सीपीओ तेल में गिरावट

Edited By PTI News Agency,Updated: 07 Jun, 2021 02:58 PM

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नयी दिल्ली, छह जून (भाषा) कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों में सरसों, मूंगफली जैसे देशी तेल-तिलहनों की मांग बढ़ने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में सुधार दिखाई...

नयी दिल्ली, छह जून (भाषा) कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों में सरसों, मूंगफली जैसे देशी तेल-तिलहनों की मांग बढ़ने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में सुधार दिखाई दिया। शिकॉगो एक्सचेंज में मजबूती के कारण जहां सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार दिखा, वहीं सोयाबीन के दागी माल की मांग प्रभावित होने से सोयाबीन तिलहनों के भाव नरमी दर्शाते बंद हुए।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क मूल्य में वृद्धि किये जाने के बाद सीपीओ के महंगा होने से सीपीओ और पामोलीन दिल्ली के भाव जहां नरम बंद हुए, वहीं इंडोनेशिया द्वारा निर्यात शुल्क बढ़ाये जाने की वजह से पामोलीन कांडला की कीमतों में पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 30 रुपये प्रति क्विन्टल का सुधार आया।
सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन की दागी फसल की बाजार में अधिक मांग नहीं थी और कारोबारी दागी माल खरीदने में हिचकिचाहट दिखा रहे थे जिससे लिवाली प्रभावित हुई और समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दाना और लूज की कीमतें गिरावट दर्शाती बंद हुईं।

वहीं देश में आयात शुल्क मूल्य में 340 रुपये प्रति क्विन्टल की बढ़ोतरी तथा शिकॉगो एक्सचेंज में सोयाबीन डीगम के भाव मजबूत होने से स्थानीय कारोबार में सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। परिणामस्वरूप समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और डीगम की कीमतें लाभ दर्शाती बंद हुई।
सप्ताह के दौरान सरकार द्वारा आठ जून से सरसों में आयातित सस्ते तेल की मिलावट (ब्लेंडिंग) पर रोक लगाने के फैसले को लेकर सोयाबीन डीगम और सीपीओ की मांग जोरदार ढंग से प्रभावित हुई लेकिन बाद में देश में खाद्य तेलों की कमी और दाम में वृद्धि की स्थिति को देखते हुए स्थिति थोड़ी संभलने लगी। एक ओर जहां सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार आया, वहीं मांग कमजोर होने से सीपीओ और पामोलीन दिल्ली की कीमतों में गिरावट आई।
सोयाबीन बिजाई के ऐन मौके पर देश में आयात शुल्क कम किये जाने की अफवाहों से बाजार में काफी उथल-पुथल रही। कारोबार के जानकारों ने कहा कि सट्टेबाज जानबूझकर बिजाई और फसल कटाई के ऐन मौके पर इस तरह की अफवाहों का सहारा लेकर देश के किसानों के हौंसले की परीक्षा लेते हैं और बदले में खुद स्थितियों का फायदा उठाते हैं।
सूत्रों ने कहा कि बाजार में सरसों और मूंगफली की आवक कम है और किसान नीचे भाव में बिक्री नहीं करना चाहते। दिल्ली की नजफगढ़ मंडी में सरसों की आवक कुछ दिनों पहले लगभग 10,000 बोरी की होती थी वह घटकर लगभग 200 बोरी के आसपास रह गयी है।
उन्होंने देश में तिलहन उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने को सबसे अहम बताते हुए कहा कि इससे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं की मनमानी रुकेगी और देश के विदेशी मुद्रा के खर्च में भारी कमी आयेगी।
सूत्रों ने कहा कि मौजूदा समय में चिकन, अंडे और दुग्ध उत्पादों के दाम में काफी बढ़ोतरी हुई है जिसका देश की खुदरा मु्द्रास्फीति पर असर होता है। इसमें दुधारू मवेशियों और मुर्गियों के चारे के रूप में प्रयोग किये जाने वाले अलग-अलग तेल रहित खल (डीओसी) और तेल खली की कीमतों को देखें, तो जिस बिनौला खल का भाव पहले 2,200 रुपये क्विन्टल था वह अब बढ़कर लगभग 3,600 रुपये क्विन्टल हो गया है। इसी प्रकार, तिल खल का भाव पहले के 3,200 - 3,300 रुपये क्विन्टल से बढ़कर 5,000 रुपये क्विन्टल हो गया है। वहीं सोयाबीन डीओसी का भाव पहले के लगभग 3,000 रुपये क्विन्टल से बढ़कर लगभग 6,200 रुपये क्विन्टल हो गया है।
सूत्रों ने कहा कि तिलहन उत्पादन बढ़ने से डीओसी और खली का उत्पादन भी बढ़ेगा जिसकी वजह से मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि खाद्य तेल की कमी को तो आयात से पूरा किया जा सकता है, लेकिन मुर्गीपालन और दुधारू मवेशियों को पालने वाले करोड़ों किसान पशुआहार और मुर्गीदाने के लिए सभी प्रकार के डीओसी और खल की जरूरत को कहां से पूरा करेंगे? इसका एकमात्र समाधान तिलहन उत्पादन बढ़ाने में ही है।
उन्होंने कहा कि विदेशों से 10-12 लाख टन खाद्य तेल आयात किये जाने के रास्ते में हैं जबकि इसके अलावा 10-12 लाख टन खाद्य तेलों के आयात के बारे में बातचीत चल रही है। ऐसे में देश में आयात शुल्क कम हुआ तो फायदा विदेशी कंपनियों को होगा जो अपने यहां दाम बढ़ा देंगी।
देश में फिलहाल सोयाबीन की बिजाई चल रही है और इसके बाद मूंगफली, सरसों, सूरजमुखी की बिजाई होनी है। ऐसे में इस तरह की खबरों से किसान हतोत्साहित होंगे।
बीते सप्ताह, सरसों दाना का भाव 50 रुपये का लाभ दर्शाता 7,350-7,400 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया जो पिछले सप्ताहांत 7,300-7,350 रुपये प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव भी 65 रुपये बढ़कर 14,465 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया। सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी टिनों के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 30-30 रुपये का लाभ दर्शाते क्रमश: 2,330-2,380 रुपये और 2,430-2,530 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
बिजाई के मौसम में सोयाबीन के दागी माल की मांग घटने से जहां सोयाबीन दाना और लूज के भाव क्रमश: 200 रुपये और 100 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 7,600-7,650 रुपये और 7,550-7,600 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। वहीं दूसरी ओर शिकॉगो एक्सचेंज में सोयाबीन के भाव मजबूत होने से यहां समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 250 रुपये, 100 रुपये और 100 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 15,200 रुपये, 15,000 रुपये और 13,750 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।
मंडियों में कम आवक रहने और किसानों द्वारा सस्ते में अपनी उपज बेचने से बचने के कारण मूंगफली दाना 150 रुपये के सुधार के साथ 5,920-5,965 रुपये, मूंगफली गुजरात 450 रुपये के सुधार के साथ 14,500 रुपये क्विन्टल तथा मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 45 रुपये के सुधार के साथ 2,320-2,350 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
लॉकडाउन के कारण मांग कमजोर रहने और आयात शुल्क मूल्य में वृद्धि के बाद महंगा होने से सप्ताह के दौरान कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव सप्ताहांत में 100 रुपये घटकर 11,550 रुपये प्रति क्विन्टल रह गया। पामोलीन दिल्ली का भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 20 रुपये की हानि दर्शाता 13,480 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। दूसरी ओर पामोलीन कांडला तेल का भाव 30 रुपये के लाभ के साथ समीक्षाधीन सप्ताहांत में 12,380 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।


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