अफगानिस्तान के लोगों को अपने सहयोगियों की परख करनी है : विदेश मंत्रालय

Edited By PTI News Agency,Updated: 17 Jun, 2021 09:42 PM

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नयी दिल्ली, 17 जून (भाषा) भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि अफगानिस्तान को लेकर उसकी दृष्टि विकासोन्मुखी और लोकतंत्र उन्मुखी है तथा अफगानिस्तान के लोगों को पिछले कार्यो के आधार पर अपने सहयोगियों की परख करनी है ।

नयी दिल्ली, 17 जून (भाषा) भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि अफगानिस्तान को लेकर उसकी दृष्टि विकासोन्मुखी और लोकतंत्र उन्मुखी है तथा अफगानिस्तान के लोगों को पिछले कार्यो के आधार पर अपने सहयोगियों की परख करनी है ।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यह प्रतिक्रिया तब दी जब उनसे पूछा गया कि क्या अफगानिस्तान के मामलों में पाकिस्तान के अधिक शामिल होने की संभावना को लेकर भारत चिंतित है, विशेष रूप से तुर्की द्वारा काबुल हवाई अडडे की सुरक्षा प्रदान करने के संबंध में पाकिस्तानी एजेंसियों से सहयोग मांगे जाने को लेकर ।
तुर्की ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के मद्देनजर काबुल हवाई अड्डे को सुरक्षा प्रदान करने की पेशकश की है ।
इस बारे में पूछे जाने पर बागची ने कहा, ‘‘ अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया के बारे में हमारा रुख सर्वविदित है और इसे मैं नहीं दोहरा रहा । जहां तक इस विशिष्ट सवाल का संबंध है, हम केवल अपने बारे में ही कह सकते हैं । ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ अफगानिस्तान को लेकर उसकी (भारत की) दृष्टि विकासोन्मुखी और लोकतंत्र उन्मुखी है तथा अफगानिस्तान के लोगों को पिछले कार्यो के आधार पर अपने सहयोगियों की परख करनी है कि किस प्रकार उनके कार्यों ने अफगान लोगों को प्रभावित किया। ’’
प्रवक्ता ने बताया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मंगलवार को दोहा में अफगानिस्तान मेलमिलाप वार्ता संबंधी अमेरिकी विशेष प्रतिनिधि जालमे खलीलजाद के साथ हुई बातचीत में हाल के घटनाक्रमों के बारे में जानकारी दी ।
जयशंकर कुवैत और केन्या यात्रा के दौरान कतर गए थे ।
बागची ने कहा कि अपनी यात्रा के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने कतर के समकक्ष एवं वहां के नेतृत्व के शीर्ष नेताओं के साथ चर्चा की । कतर, अफगानिस्तान शांति वार्ता प्रक्रिया में शामिल है और इस मुद्दे पर चर्चा हुई ।

उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री जयशंकर की यात्रा के दौरान खलीलजाद दोहा में थे और उन्होंने जयशंकर को अफगानिस्तान को लेकर हाल के घटनाक्रमों के बारे में बताया।
गौरतलब है कि तालिबान और अफगानिस्तान 19 वर्षो के गृह युद्ध को समाप्त करने के लिये बातचीत कर रहे हैं जिसमें हजारों की संख्या में लोग मारे गए । भारत, अफगानिस्तान की शांति एवं स्थिरता में महतवपूर्ण साझेदार है । भारत ने वहां विकास कार्यो में करीब 3 अरब डालर निवेश किया है ।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कतर के विदेश व रक्षा मंत्रियों से मुलाकात कर द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की और वैश्विक क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। यह एक सप्ताह के अंदर विदेश मंत्री का खाड़ी देश का दूसरा दौरा है।

जयशंकर ने इससे एक दिन पहले केन्या के शीर्ष नेतृत्व के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति समेत वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की थी । इसके बाद उन्होंने दोहा में अपने समकक्ष मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी के साथ मुलाकात की, जो कतर के उप प्रधानमंत्री भी हैं।

अमेरिकी सेना 11 सितंबर से पहले युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान से निकलने की तैयारी कर रही है।
अमेरिका और तालिबान ने युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान में शांति और अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ करने के लिये कई दौर की बातचीत के बाद 29 फरवरी 2020 में दोहा में एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।

भारत अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता का अहम हितधारक है तथा राष्ट्रीय शांति व ऐसी सुलह प्रक्रिया का समर्थन करता है, जो अफगान नेतृत्व वाली, अफगानों के स्वामित्व वाली और अफगान नियंत्रित हो।



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