Edited By PTI News Agency,Updated: 23 Jun, 2021 05:15 PM
नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को उन खबरों को खारिज करते हुए उन्हें निराधार बताया जिनमें आरोप लगाया गया था कि तकनीकी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाने के कारण बेघर लोगों को कोविड टीकाकरण के लिए पंजीकरण से ‘रोक’ दिया गया है।
नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को उन खबरों को खारिज करते हुए उन्हें निराधार बताया जिनमें आरोप लगाया गया था कि तकनीकी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाने के कारण बेघर लोगों को कोविड टीकाकरण के लिए पंजीकरण से ‘रोक’ दिया गया है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कुछ मीडिया खबरों में आरोप लगाया गया है कि बेघर लोगों को तकनीकी मानकों को पूरा नहीं करने के कारण कोविड-19 टीकाकरण के लिए पंजीकरण करने से ‘रोक’ दिया गया है। इसमें कहा गया है कि खबरों के अनुसार "डिजिटल रूप से पंजीकरण करने की आवश्यकता", "अंग्रेजी की जानकारी और इंटरनेट की सुविधा के साथ स्मार्टफोन या कंप्यूटर तक पहुंच" कुछ ऐसे कारक हैं जो लोगों को टीकाकरण से वंचित करते हैं।
मंत्रालय ने स्पष्ट करते हुए कहा, "ये सभी दावे निराधार हैं और तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।" मंत्रालय ने कहा कि कोविड टीकाकरण के लिए मोबाइल फोन का होना कोई शर्त नहीं है, पते का प्रमाण भी अनिवार्य नहीं है और टीकाकरण का लाभ उठाने के लिए ‘को-विन’ पर ऑनलाइन पहले से पंजीकरण भी अनिवार्य नहीं है।
मंत्रालय ने आगे कहा कि लोगों की आसानी लिए ‘को-विन’ मंच अब 12 भाषाओं - हिंदी, मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मराठी, गुजराती, ओडिया, बांग्ला, असमिया, गुरुमुखी (पंजाबी) और अंग्रेजी में उपलब्ध है।
बयान में कहा गया है कि आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, फोटो के साथ राशन कार्ड, अशक्ता पहचान पत्र सहित नौ पहचान पत्रों में से कोई एक टीकाकरण के लिए आवश्यक है लेकिन सरकार ने उन लोगों के लिए टीकाकरण सत्र आयोजित करने की खातिर विशेष प्रावधान किए हैं जिनके पास इनमें से कोई भी नहीं हो। ऐसे प्रावधानों का लाभ उठाते हुए अब तक दो लाख से अधिक ऐसे लाभार्थियों का टीकाकरण किया गया है।
मंत्रालय ने कहा कि जिन लोगों के पास इंटरनेट या स्मार्टफोन या मोबाइल फोन भी नहीं है, उनके लिए सभी सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर मुफ्त ‘ऑन-साइट’ पंजीकरण और टीकाकरण उपलब्ध है। उसने कहा कि अब तक लगाए गए टीकों की 80 प्रतिशत खुराक इसी तरह से दी गई हैं।
बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय औसत की तुलना में आदिवासी जिलों में कोविड टीकाकरण कवरेज बेहतर रहा है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 70 प्रतिशत से अधिक टीकाकरण केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं।
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