संसद में दी गयी करगिल विजय दिवस पर वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि

Edited By PTI News Agency,Updated: 26 Jul, 2021 12:41 PM

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नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) संसद के दोनों के सदनों में सोमवार करगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ पर सैनिकों के बलिदान को याद किया गया और उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी।

नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) संसद के दोनों के सदनों में सोमवार करगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ पर सैनिकों के बलिदान को याद किया गया और उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी।
लोकसभा में आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने करगिल विजय दिवस पर वीर सैनिकों का स्मरण किया। सदन में सदस्यों ने कुछ पल मौन रखकर मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट किया।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सशस्त्र सेनाओं और शूरवीर सैनिकों का मातृभूमि के प्रति उनके समर्पण के लिए अभिनंदन है ।
उन्होंने कहा, ‘‘हम दुर्गम और प्रतिकूल परिस्थितियों में सीमाओं की रक्षा करते सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करते हैं ।’’
बिरला ने कहा, ‘‘हम शहीदों के परिवारों के प्रति भी आभार व्यक्त करते हैं । ’’
इसके बाद सदस्यों ने अपने स्थानों पर खड़े होकर शहीदों के प्रति सम्मान में कुछ पलों का मौन रखा ।
राज्यसभा की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने करगिल विजय दिवस का जिक्र करते हुए कहा ‘‘ 1999 में आज ही के दिन हमारे बहादुर जवानों ने दुश्मन की उन सेनाओं को परास्त कर करगिल की पहाड़ियों को अपने कब्जे में ले लिया था जिन्होंने हमारे भूभाग में अतिक्रमण किया था।’’ सभापति ने कहा कि हमारे वीर जवानों के शौर्य ने देश को ऐतिहासिक विजय दिलाई थी।
नायडू ने कहा ‘‘विषम भौगोलिक परिस्थितियों और प्रतिकूल मौसम में हमारे जवानों ने अपने मिशन के लिए जिस साहस, पराक्रम, दृढ़ता और नि:स्वार्थ समर्पण का प्रदर्शन किया, उसे देश कभी नहीं भूल पाएगा। उनकी वीरता आने वाले पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करती रहेगी।’’
सभापति ने कहा कि मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले बहादुर जवानों को वह अपनी और पूरे सदन की ओर से श्रद्धांजलि देते हैं। शहीद जवानों के सम्मान में सदस्यों ने कुछ पलों का मौन भी रखा।

गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच 1999 में करगिल के पहाड़ों पर लड़ाई हुई थी और बाद में भारत ने करगिल की पहाड़ियां फिर से अपने कब्जे में ले ली थीं। इस लड़ाई की शुरुआत तब हुई थी, जब पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर घुसपैठ करके वहां अपने ठिकाने बना लिए थे।


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