Edited By PTI News Agency,Updated: 11 Oct, 2021 07:23 PM
नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर (भाषा) जी एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज लिमिटेड (जील) की सबसे बड़ी शेयरधारक इनवेस्को ने प्रबंधन में बदलाव के लिए कंपनी के अन्य गैर-प्रवर्तक शेयरधारकों से समर्थन मांगा है।
नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर (भाषा) जी एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज लिमिटेड (जील) की सबसे बड़ी शेयरधारक इनवेस्को ने प्रबंधन में बदलाव के लिए कंपनी के अन्य गैर-प्रवर्तक शेयरधारकों से समर्थन मांगा है।
इनवेस्को ने फर्म के सोनी के साथ हुए सौदे पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे शेयरधारकों की कीमत पर चंद्रा परिवार को फायदा पहुंचेगा।
इनवेस्को ने जी के शेयरधारकों को एक खुले पत्र में मीडिया कंपनी के निदेशक मंडल (बोर्ड) के पुनर्गठन की अपनी मांग दोहराई और कहा कि वह मुख्य कार्यपालक अधिकारी पुनीत गोयनका और दो अन्य निदेशकों को हटाने के लिए असाधारण आम बैठक (ईजीएम) बुलाने की कोशिश करती रहेगी। फर्म में इंवेस्को की 7.74 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
पिछले महीने सोनी ग्रुप कॉर्प की भारत इकाई ने जी को खरीदने के लिए एक गैर-बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षण किए। प्रस्तावित सौदे में विलय के बाद बनी इकाई में सोनी इंडिया की लगभग 53 प्रतिशत हिस्सेदारी और शेष जी के पास होगी।
विलय पर सवाल उठाते हुए इनवेस्को ने कहा कि गैर-प्रतिस्पर्धी माध्यम से संस्थापक परिवार को अतिरिक्त दो प्रतिशत इक्विटी उपहार में देने की घोषणा पूरी तरह से अनुचित है, और संस्थापक परिवार को अपनी हिस्सेदारी चार प्रतिशत से बढ़ाकर 20 करने का रास्ता भी खोलती है।
इनवेस्को ने कहा, ‘‘इससे दूसरे सभी शेयरधारकों का हिस्सा कम होगा, जिसे हम अनुचित मानते हैं। कम से कम हम यह उम्मीद करेंगे कि एमडी/सीईओ (प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी) अपने पद को तत्काल छोड़ें।’’
निवेश फर्म ने बोर्ड और प्रबंधन को जवाबदेह ठहराने तथा जी में जरूरी बदलाव करने के लिए असाधारण आम बैठक (ईजीएम) बुलाने का इरादा भी जताया।
इनवेस्को ने कहा, ‘‘जी को प्रवर्तक परिवार और संस्था के बीच एक सीमा रेखा खींचने की आवश्यकता है। इसके बोर्ड को स्वतंत्र निदेशकों के साथ मजबूत करने की जरूरत है, जो अपने काम को गंभीरता से लेते हैं।’’
प्रवर्तक सुभाष चंद्रा के परिवार की इस समय जील में लगभग चार प्रतिशत हिस्सेदारी है और सोनी पिक्चर नेटवर्क्स इंडिया (एसपीएनआई) के साथ घोषित विलय के बाद नई इकाई में ये हिस्सेदारी घटकर दो प्रतिशत हो जाएगी।
हालांकि, जील के प्रवर्तकों को गैर-प्रतिस्पर्धी खंड के लिए विलय की गई इकाई में दो प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सेदारी मिलेगी, जिसके बाद ये हिस्सेदारी फिर से चार प्रतिशत हो जाएगी, जिसे बाद में 20 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।
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