Edited By PTI News Agency,Updated: 01 Nov, 2021 08:51 PM
नयी दिल्ली,एक नवंबर (भाषा) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने मीडिया की उन खबरों को ‘‘भ्रामक’’बताया है,जिनमें कहा गया है कि उसने शोधार्थियों से गैर-नेट अध्येतावृत्ति(नॉन नेट फैलोशिप) वापस करने को कहा है।
नयी दिल्ली,एक नवंबर (भाषा) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने मीडिया की उन खबरों को ‘‘भ्रामक’’बताया है,जिनमें कहा गया है कि उसने शोधार्थियों से गैर-नेट अध्येतावृत्ति(नॉन नेट फैलोशिप) वापस करने को कहा है।
विश्वविद्यालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार एमफिल और पीएचडी के छात्रों को इस तरह की फैलोशिप देता है।
इसमें कहा गया,‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि भारतीय मीडिया में कुछ खबरों में आरोप लगाया गया है कि विश्वविद्यालय ने शोधार्थियों से नॉन नेट फैलोशिप वापस करने को कहा है, जो कि ‘‘भ्र्रामक’’है।
विश्वविद्यालय की ओर से यह स्पष्टीकरण छात्रों के आरोपों के बाद आया है कि विश्वविद्यालय ने शोधार्थियों से नॉन-नेट फेलोशिप की वसूली शुरू कर दी है।
बयान में कहा गया है, ‘‘यह रेखांकित किया जाता है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार एमफिल और पीएचडी के छात्रों को गैर-नेट फेलोशिप वितरित करता है।’’
इसमें कहा गया,‘‘ यूजीसी योग्य छात्रों को जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में करता है और विश्वविद्यालय ऐसे छात्रों के संबंधित दस्तावेजों का केवल सत्यापन करता है और उन्हें यूजीसी पोर्टल पर अपलोड करता है।’’
विश्वविद्यालय के बयान में कहा गया है कि छात्र एमफिल और पीएचडी के दौरान अधिकतम पांच साल के लिए फैलोशिप पाने के हकदार होते हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।