अदालतों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशा निर्देश देंगे : दिल्ली उच्च न्यायालय

Edited By PTI News Agency,Updated: 25 Nov, 2021 12:43 AM

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नयी दिल्ली, 24 नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह अदालतों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशा निर्देश पारित करेगा जो 18 अप्रैल तक प्रभावी रहेंगे।

नयी दिल्ली, 24 नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह अदालतों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशा निर्देश पारित करेगा जो 18 अप्रैल तक प्रभावी रहेंगे।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि वह एक सुरक्षा ऑडिट के आधार पर उचित संख्या में कर्मियों और उपकरणों को तैनात करके न्यायिक परिसरों में प्रवेश को सख्ती से विनियमित करने के बारे में पहले दिए गए अपने सुझावों को दिशा निर्देशों के तौर पर शामिल करेगा।
पीठ रोहिणी अदालत के एक कक्ष में 24 सितंबर को हुई गोलीबारी से संबंधित स्वत: संज्ञान मामले में सुनवाई कर रही है। इस गोलीकांड में तीन लोग मारे गए थे।

पीठ ने कहा कि इन दिशा निर्देशों की समीक्षा करने के लिए अप्रैल में फिर से मामले पर सुनवाई की जायेगी। इस दौरान सभी को इसमे सहयोग करना होगा।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अगर दिशा निर्देशों को लागू करने में कोई मुश्किल आती है तो बाद में इनमें संशोधन किया जा सकता है। मैं इस मामले पर सुनवाई स्थगित कर रहा हूं। हर 15 दिनों में बदलाव नहीं किए जा सकते। दिशा निर्देश 18 अप्रैल तक लागू रहेंगे। हवाई अड्डों पर भी जांच होती है...सभी को सहयोग करना चाहिए। वहां जांच कराना बाध्यता है। कुछ समय के लिए बोझिल प्रक्रिया में सहयोग करें।’’
अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएन (डीएचसीबीए) को भी यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि वह उच्च न्यायालय परिसरों के भीतर उसके सदस्यों की कारों के प्रवेश के लिए पास जारी करें। वरिष्ठ अधिवक्ता और डीएचसीबीए अध्यक्ष मोहित माथुर ने उच्च न्यायालय के भीतर प्रवेश के लिए एसोसिएशन के सदस्यों को कार्ड जारी करने की अनुमति देने का भी अनुरोध किया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आठ नवंबर को कहा था कि उसे अदालतों में सुरक्षा के लिए दिल्ली सरकार, पुलिस और वकीलों से पूर्ण सहयोग की उम्मीद है। उसने सुझाव दिया था कि सुरक्षा ऑडिट के आधार पर उचित संख्या में कर्मियों और उपकरणों को तैनात कर न्यायिक परिसरों में प्रवेश को सख्ती से विनियमित किया जाना चाहिए।
पीठ ने प्रस्ताव दिया था कि दिल्ली सरकार सुरक्षा उपकरणों की खरीद के वास्ते बजट के आवंटन के लिए जवाबदेह होगी और क्योंकि पुलिस के पास विशेषज्ञता है, इसलिए उसे सरकार तथा अदालत को सूचित करते हुए इन उपकरणों की खरीद करनी चाहिए।

अदालत ने स्पष्ट किया था कि उसके सुझाव सारांश पर हितधारकों द्वारा विचार किए जाने के बाद वह उचित ‘‘दिशानिर्देश’’ जारी करेगी। अदालत ने कहा था कि पुलिस आयुक्त अदालतों के सुरक्षा ऑडिट के लिए विशेषज्ञों की एक टीम तैयार करेंगे और उचित संख्या में कर्मियों की तैनाती करेंगे।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि वकीलों सहित सभी का प्रवेश तलाशी का विषय होगा जो मेटल डिटेक्टर के जरिए त्वरित तरीके से होगी तथा कोई भी सामान बिना जांच के अदालत परिसर के भीतर ले जाने की अनुमति नहीं होगी।

अदालत ने सभी अदालत परिसरों को चौबीसों घंटे सीसीटीवी निगरानी में रखने, वाहनों के लिए ‘स्टिकर’ जारी करने और भीड़ से निपटने के लिए वाहन जांच प्रणाली के साथ-साथ स्वचालित द्वार स्थापित करने सहित अन्य सुझाव दिए थे।

गौरतलब है कि जेल में बंद गैंगस्टर जितेंद्र गोगी और वकीलों की वेशभूषा में आए उसके दो हमलावर 24 सितंबर को रोहिणी अदालत में हुई गोलीबारी में मारे गए थे।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने 24 सितंबर को खचाखच भरे रोहिणी अदालत कक्ष में गोलीबारी पर गहन चिंता जतायी थी। प्रधान न्यायाधीश ने इस संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से बात की थी और उनसे यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस तथा बार दोनों से बात करने की सलाह दी थी कि अदालत का कामकाज बाधित नहीं हो।



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