आकांक्षी जिले गतिरोध की जगह अब गतिवर्धक बन रहे हैं: प्रधानमंत्री

Edited By PTI News Agency,Updated: 22 Jan, 2022 02:35 PM

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नयी दिल्ली, 22 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि विकास के मामले में पिछड़े जिले पहले देश की प्रगति के आंकड़ों को भी नीचे कर देते थे लेकिन पिछले सात साल में जब से उन पर विशेष ध्यान दिया गया और उन्हें आकांक्षी जिलों के...

नयी दिल्ली, 22 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि विकास के मामले में पिछड़े जिले पहले देश की प्रगति के आंकड़ों को भी नीचे कर देते थे लेकिन पिछले सात साल में जब से उन पर विशेष ध्यान दिया गया और उन्हें आकांक्षी जिलों के रूप में पेश किया गया, तो यही जिले आज गतिरोध की बजाए गतिवर्धक बन रहे हैं।

विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संवाद के दौरान प्रधानमंत्री ने यह बात कही। इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न मानकों पर पिछड़े देश के 142 जिलों का उल्लेख किया और वहां भी अब सामूहिक जिम्मेदारी से आकांक्षी जिलों की तर्ज पर विकास करने का जिलाधिकारियों से आह्वान किया।
इस दौरान उन्होंने जिलों में केंद्र सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन की प्रगति और जिलों के प्रदर्शन की समीक्षा की और उनके सामने पेश आ रही चुनौतियों पर भी विचार विमर्श किया।

असम, छत्तीसगढ़, गुजरात और कर्नाटक सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री और नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारी भी इस संवाद कार्यक्रम में मौजूद थे।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आजादी के 75 साल की लंबी यात्रा के बाद भी देश में कई जिले पीछे ही रह गए। समय के साथ इन जिलों पर पिछड़े जिलों का तमगा लगा दिया गया। एक तरफ देश के सैकड़ों जिले प्रगति करते रहे तो दूसरी तरफ ये पिछड़े जिले और पीछे होते चले गए।’’
उन्होंने कहा कि देश की प्रगति के आंकड़ों को भी ये जिले नीचे कर देते थे और इसकी वजह से जो जिले अच्छा भी कर रहे होते थे, उनमें भी निराश आती है।

उन्होंने कहा, ‘‘देश में पीछे रह गए इन जिलों पर विशेष ध्यान दिया गया। आज आकांक्षी जिले देश के आगे बढ़ने के अवरोध समाप्त कर रहे हैं। आप सब के प्रयासों से आकांक्षी जिले गतिरोध की बजाए गतिवर्धक बन रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो जिले पहले कभी तेज प्रगति करने वाले माने जाते थे, आज कई मानकों में आकांक्षी जिलों ने भी उनसे अच्छा काम करके दिखाया है।

उन्होंने कहा, ‘‘आकांक्षी जिलों ने विकास के अभियान में हमारी जिम्मेदारियों को विस्तार दिया है। उसे नया स्वरूप दिया है। संविधान की जो भावना है उसे मूर्त स्वरूप देता है। इसका आधार है केंद्र राज्य और स्थानीय प्रशासन का टीम वर्क।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि कई जिलों ने कुपोषण पर बहुत अच्छा काम किया है तो कुछ जिलों ने पशुओं के टीकाकरण पर बहुत बेहतर काम किया है।

उन्होंने कहा कि बिहार जैसे राज्य में जहां 30 प्रतिशत पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध था आज वहां 90 प्रतिशत तक नल से शुद्ध पानी पहुंच रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब दूसरों की आकांक्षाएं, अपनी आकांक्षा बन जाएं और जब दूसरों के सपनों को पूरा करना अपनी सफलता का पैमाना बन जाए तो वो कर्तव्य पथ इतिहास रचता है। आज हम देश के आकांक्षी जिलों में यही इतिहास बनते हुए देख रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों और अलग-अलग विभागों ने ऐसे 142 जिलों की एक सूची तैयार की है जो अलग-अलग मानकों पर अभी पीछे हैं।

उन्होंने जिलाधिकारियों से आह्वान किया, ‘‘अब वहां पर भी हमें उसी सामूहिक प्रयास के साथ आगे बढ़ना है और साथ काम करना है, जैसे हम आकांक्षी जिलों में करते हैं।’’
उन्होंने इसे केंद्र, सभी राज्य सरकारों, जिला प्रशासन और सरकारी तंत्र को एक नई चुनौती करार दिया और कहा कि इसे सभी को मिलकर पूरा करना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आकांक्षी जिलों में विकास के लिए प्रशासन और जनता के बीच सीधा संवाद और भावुक जुड़ाव बहुत जरूरी है और इस अभियान में प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष महत्वपूर्ण पहलू हैं।

आकांक्षी जिलों में मिली सफलता को बहुत बड़ा कारण अभसारिता (कनवर्जेंस) करार देते हुए उन्होंने कहा सारे संसाधन वही हैं, सरकारी मशीनरी और अधिकारी वही हैं लेकिन परिणाम अलग हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले चार सालों में देश के लगभग हर आकांक्षी जिले में जन-धन खातों में चार से पांच गुना की वृद्धि हुई है। लगभग हर परिवार को शौचालय मिला है, हर गांव तक बिजली पहुंची है और बिजली सिर्फ गरीब के घर में नहीं पहुंची है बल्कि लोगों के जीवन में ऊर्जा का संचार हुआ है।’’
उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिलों ने यह साबित किया है कि क्रियान्यवन में उदासीनता खत्म होने से संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग होता है और इस परिस्थिति में एक और एक मिलकर दो नहीं बल्कि 11 बनाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यही सामर्थ्य, यही सामूहिक शक्ति आज हमें आजआकांक्षी जिलों में नजर आती है। आज आजादी के 75वें साल में देश का लक्ष्य सेवाओं और सुविधाओं के शत प्रतिशत परिणाम आए। यानी, हमने अभी तक जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उसके आगे हमें एक लंबी दूरी तय करनी है और बड़े स्तर पर काम करना है।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘डिजिटल इंडिया’’ के रूप में देश एक ‘‘मौन क्रांति’’ का साक्षी बन रहा है और ऐसे में कोई भी जिला इसमें पीछे नहीं छूटना चाहिए।

उन्होंने कहा कि डिजिटल अवसंरचना हर गांव तक पहुंचे, सेवाओं और वह सुविधाओं की घर-घर आपूर्ति का जरिया बने, यह बहुत जरूरी है।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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