84 के दंगा पीड़ितों संबंधी नीति में भर्ती में वरीयता की परिकल्पना है,अनिवार्य रोजगार नहीं: अदालत

Edited By PTI News Agency,Updated: 22 May, 2022 04:53 PM

pti state story

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 के दंगों के पीड़ित परिवारों के लिए पुनर्वास नीति के तहत रोजगार का अनुरोध करने वाली एक महिला को राहत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि केंद्रीय योजना में केवल यह परिकल्पना की गई है कि...

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 के दंगों के पीड़ित परिवारों के लिए पुनर्वास नीति के तहत रोजगार का अनुरोध करने वाली एक महिला को राहत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि केंद्रीय योजना में केवल यह परिकल्पना की गई है कि भर्ती के दौरान वरीयता दी जानी चाहिए और भर्ती न होने की स्थिति में यह नियुक्ति को अनिवार्य नहीं बनाता है।

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कहा कि जब भी अधिकारियों द्वारा कोई भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाती है, तो वे याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी पर विचार करने के लिए बाध्य होंगे, जिसकी नियुक्ति को सक्षम प्राधिकारी ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वर्तमान में ऐसी कोई विशेष भर्ती मुहिम नहीं है।

अदालत ने 20 मई को अपने आदेश में कहा, चूंकि वर्तमान में कोई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं की गयी है, ऐसे में याचिकाकर्ता प्रतिवादी के अधीन नियुक्ति के अपरिहार्य अधिकार का दावा नहीं कर सकती । अदालत ने कहा, ‘‘किसी भी मामले में और जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, नीति में केवल किसी भी भर्ती प्रक्रिया में पात्र आवेदकों को वरीयता देने की परिकल्पना की गई है।’’
याचिका में याचिकाकर्ता ने 16 जनवरी, 2006 के परिपत्र के संदर्भ में अपनी नियुक्ति पर विचार करने का अनुरोध किया है, जिसमें 1984 के दंगा पीड़ितों को राहत प्रदान करने के लिए एक पुनर्वास पैकेज की व्याख्या की गई थी। उसने दलील दी कि अधिकारियों ने गैरकानूनी रूप से काम किया और उसे नियुक्ति नहीं दी तथा मनमाने ढंग से उसकी नियुक्ति को अस्वीकार कर दिया गया।

अदालत ने कहा कि नीति में अपनाए गए विभिन्न उपायों में से एक उन दंगों में मारे गए लोगों के बच्चों और परिवार के सदस्यों को भर्ती में वरीयता प्रदान करना था और यह दायित्व आज भी जारी है।

अदालत ने कहा कि रिट याचिका का अन्य ‘‘लंबित याचिकाओं के साथ निपटारा किया जाएगा और जब भी प्रतिवादियों द्वारा कोई भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाती है और याचिकाकर्ता इसके संदर्भ में आवेदन करती है और योग्य पाई जाती है, तो वे 16 जनवरी 2006 के परिपत्र में किए गए प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए उसकी उम्मीदवारी पर विचार करने के लिए बाध्य होंगे।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!