Edited By PTI News Agency,Updated: 22 Jun, 2022 10:39 PM
नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) कोयला आधारित बिजली उत्पादन देश में विद्युत आपूर्ति की रीढ़ है और यह स्थिति अगले दो-तीन दशकों तक इसी तरह बनी रहने वाली है। सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनी एनटीपीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक गुरदीप सिंह ने बुधवार को...
नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) कोयला आधारित बिजली उत्पादन देश में विद्युत आपूर्ति की रीढ़ है और यह स्थिति अगले दो-तीन दशकों तक इसी तरह बनी रहने वाली है। सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनी एनटीपीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक गुरदीप सिंह ने बुधवार को यह बात कही।
उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि स्वच्छ या गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भारत को कम लागत वाले वित्त पोषण पर जोर देने की जरूरत है।
सिंह ने यहां ब्लूमबर्ग एनईएफ शिखर सम्मेलन में एक चर्चा के दौरान कहा कि कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने की बात की जगह भारत को प्रेषण योग्य नवीकरणीय ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘लोग कोयले के बारे में बहुत अधिक चिंतित क्यों हैं? आज हम कोयला आधारित संयंत्रों से तीन-चौथाई बिजली की आपूर्ति कर रहे हैं। ये कोयला आधारित बिजली संयंत्र (देश में बिजली आपूर्ति या बेसलोड) की रीढ़ हैं।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘हमें यह देखने की जरूरत है कि कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने बजाय कोयला आधारित उत्पादन को कैसे कम किया जाए...।’’
सिंह ने कहा कि कोयला आधारित संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने की बात जल्दबाजी होगी और कोयला आधारित बिजली दो से तीन दशकों तक रहने वाली है।
भारत ने 2030 तक 5,00,000 मेगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
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