Edited By PTI News Agency,Updated: 23 Jun, 2022 08:37 PM
नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) जीएसटी परिषद की अगले सप्ताह होने वाली बैठक काफी गर्माहट भरी रह सकती है, क्योंकि इस दौरान विपक्ष शासित राज्य राजस्व घाटे की क्षतिपूर्ति को जारी रखने की पुरजोर वकालत करेंगे।
नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) जीएसटी परिषद की अगले सप्ताह होने वाली बैठक काफी गर्माहट भरी रह सकती है, क्योंकि इस दौरान विपक्ष शासित राज्य राजस्व घाटे की क्षतिपूर्ति को जारी रखने की पुरजोर वकालत करेंगे।
दूसरी ओर केंद्र ऐसे किसी कदम को तंग राजकोषीय स्थितियों का हवाला देते हुए रोकना चाहेगा।
जीएसटी (माल एवं सेवा कर) क्षतिपूर्ति कोष में कमी को पूरा करने के लिए केंद्र ने 2020-21 में 1.1 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 में 1.59 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया और राज्यों को जारी किया। उपकर संग्रह में कमी की वजह से ऐसा किया गया।
इसके अलावा केंद्र कमी को पूरा करने के लिए कोष से नियमित जीएसटी मुआवजा भी जारी करता रहा है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘केंद्र ने पिछले साल क्षतिपूर्ति उपकर संग्रह में से 7,500 करोड़ रुपये उधारी की ब्याज लागत के रूप में चुकाया, और चालू वित्त वर्ष में 14,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है। अगले वित्त वर्ष से मूल राशि की अदायगी शुरू होगी, जो मार्च 2026 तक जारी रहेगी।’’
केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 47वीं बैठक 28-29 जून को होगी और इसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होंगे। बैठक के दौरान राज्यों के क्षतिपूर्ति तंत्र और राजस्व की स्थिति पर चर्चा होने की संभावना है।
अनुमान के मुताबिक पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति की जरूरत नहीं है।
लखनऊ में जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि राज्यों को राजस्व की कमी के लिए मुआवजे का भुगतान करने की व्यवस्था अगले साल जून में समाप्त हो जाएगी।
देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को एक जुलाई 2017 से लागू किया गया था और राज्यों को जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण होने वाले किसी भी राजस्व के नुकसान के एवज में पांच साल की अवधि के लिए क्षतिपूर्ति का आश्वासन दिया गया था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।