कमजोर मांग, विदेशी बाजारों में दाम घटने से तेल-तिलहनों के भाव टूटे

Edited By PTI News Agency,Updated: 26 Jun, 2022 02:55 PM

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नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) विदेशी बाजारों में खाद्यतेलों के भाव टूटने से देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेल-तिलहन तथा बिनौला, सीपीओ, पामोलीन तेल सहित विभिन्न तेल तिलहनों में गिरावट आई। बाकी तेल-तिलहनों के...

नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) विदेशी बाजारों में खाद्यतेलों के भाव टूटने से देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेल-तिलहन तथा बिनौला, सीपीओ, पामोलीन तेल सहित विभिन्न तेल तिलहनों में गिरावट आई। बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे।
बाजार सूत्रों ने बताया कि आयात किये जाने वाले सोयाबीन डीगम, सीपीओ, पामोलीन और सूरजमुखी तेल के थोक दाम में लगभग 50 रुपये किलो तक की गिरावट आई है। इसके अलावा आयातकों ने जिस पुराने भाव पर खाद्य तेलों का आयात कर रखा है, विदेशों में तेल तिलहनों के भाव अचानक टूटने से इन आयातकों को खरीद भाव के मुकाबले 50-60 डॉलर नीचे भाव पर अपने माल को बेचना पड़ सकता है। उन्हें अब बैंक कर्ज का भुगतान डॉलर के अधिक हुए दाम के हिसाब से करना होगा।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के अपने ऐतिहासिक निम्न स्तर पर जा पहुंचने से आयातकों को कहीं अधिक धनराश जेब से निकालनी पड़ रही है। इससे जहां देश में आयातक की बुरी हालत है वहीं उनके लिए अब खरीद के मुकाबले काफी सस्ते दाम पर तेल बेचना होगा। लेकिन इन सबके बाद भी इस गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि खुदरा कारोबार में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की आड़ में उपभोक्ताओं से मनमानी कीमत वसुली जा रही है और बाजार में एमआरपी की जांच करने वाले नदारद हैं।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन के अलावा मूंगफली की बिजाई का मौसम है और अभी तक प्राप्त सूचना के अनुसार पिछले साल के मुकाबले सोयाबीन की बुआई का रकबा काफी कम है। इसकी वजह देश में डीओसी की उपलब्धता होने के बावजूद सरकार द्वारा डीआयल्ड केक (सोयाबीन खली) का आयात खोलना और बाद में सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क कम करना है। उन्होंने कहा कि इससे देश के किसान हतोत्साहित हैं और ऐसे फैसले तेल तिलहन मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिहाज से आत्मघाती हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अब तेश के साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ओर सोपा जैसे तेल संगठनों ने भी सरकार से आयात शुल्क हटाने के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।

सूत्रों ने कहा कि सीपीओ में कारोबार नगण्य है और बिनौला में भी कारोबार समाप्त हो चला है। मलेशिया एक्सचेंज के कमजोर रहने और विदेशों में इस तेल का भाव 200-250 डॉलर टूटने से सीपीओ, पामोलीन और सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में भी पिछले सप्ताहांत के मुकाबले गिरावट आई।
सूत्रों ने कहा कि सरसों खली की मांग कमजोर रहने से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में साधारण गिरावट आई।
विदेशों में भाव टूटने और उसकी वजह से स्थानीय खाद्यतेलों पर दबाव होने के बावजूद सरसों पर कोई विशेष फर्क देखने को नहीं मिला। बाजार में सरसों की आवक घटकर लगभग दो-सवा दो लाख बोरी रह गई है जबकि यहां इसकी दैनिक मांग लगभग 4.5-5 लाख बोरी की है। सरसों का इस बार उत्पादन जरूर बढ़ा है पर आयातित तेलों के महंगा होने के समय जिस रफ्तार से सरसों के रिफाइंड बनाकर आयातित तेलों की कमी को पूरा किया गया, उससे आगे चलकर त्यौहारों के मौसम में सरसों या हल्के तेलों की दिक्कत बढ़ सकती है। सहकारी संस्थाओं के पास इस बार इसका स्टॉक भी नहीं बनाया गया है। परमिट हासिल करने के चक्कर में हल्के तेलों के नये खेप के लिए आर्डर नहीं दिये जा सके हैं और जो पुराने आर्डर हैं केवल उसी के लिए जहाजों पर लदान हो रहे हैं। परमिट मिलने के बाद आर्डर देने के बाद नये माल के आने में लगभग दो-ढाई महीने का समय लगता है। त्यौहारों के दौरान आर्डर की कमी होने की वजह से खाद्यतेल आपूर्ति की दिक्कत देखने को मिल सकती है।

सोपा, एसईए जैसे तेल संगठनों की सरकार से विदेशी तेलों के आयात शुल्क में कमी के फैसले की पूनर्समीक्षा करने की मांग का समर्थन करते हुए सूत्रों ने कहा कि देश के किसानों के हित में शुल्क में कमी करने के फैसले को वापस लेने का प्रयास होना चाहिये।

सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 30 रुपये घटकर 7,410-7,460 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल समीक्षाधीन सप्ताहांत में 15,100 रुपये क्विंटल के पूर्व सप्ताहांत के स्तर पर ही बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 10-10 रुपये घटकर क्रमश: 2,355-2,435 रुपये और 2,395-2,500 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।
सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशों में भाव टूटने और मांग कमजोर रहने से सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 390 रुपये और 290 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,410-6,460 रुपये और 6,210-6,260 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशों में तेल कीमतों के भाव टूटने से सोयाबीन तेल कीमतें भी नुकसान के साथ बंद हुईं। सोयाबीन दिल्ली का थोक भाव 750 रुपये की हानि के साथ 14,400 रुपये, सोयाबीन इंदौर का भाव 750 रुपये टूटकर 14,000 रुपये और सोयाबीन डीगम का भाव 600 रुपये की गिरावट के साथ 12,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
विदेशी तेलों में आई गिरावट से मूंगफली तिलहन का भाव भी 70 रुपये की गिरावट के साथ समीक्षाधीन सप्ताह में 6,655-6,780 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 240 रुपये की गिरावट के साथ 15,410 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 135 रुपये टूटकर 2,580-2,770 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी बाजारों में तेल कीमतों में जोरदार गिरावट आने के बाद कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव भी 1,550 रुपये टूटकर 11,450 रुपये क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 1,300 रुपये टूटकर 13,450 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 1,450 रुपये टूटकर 12,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव 880 रुपये की कमजोरी दर्शाता 13,720 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वैसे बिनौला में कारोबार नगण्य है।




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