Edited By PTI News Agency,Updated: 28 Jun, 2022 05:23 PM
नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) भारत को 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन का लक्ष्य हासिल करने के लिये 1,15,000 मेगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता तथा 50 अरब लीटर खनिज-मुक्त जलापूर्ति की जरूरत होगी। ईवाई इंडिया-एसईडी फंड की रिपोर्ट में यह कहा गया...
नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) भारत को 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन का लक्ष्य हासिल करने के लिये 1,15,000 मेगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता तथा 50 अरब लीटर खनिज-मुक्त जलापूर्ति की जरूरत होगी। ईवाई इंडिया-एसईडी फंड की रिपोर्ट में यह कहा गया है।
बयान के अनुसार, इस दशक में औद्योगिक कच्चे माल के उपयोग के रूप में हरित हाइड्रोजन की मांग बढ़ेगी।
उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के बेंगलुरु में आयोजित सम्मेलन में ‘हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को गति’ शीर्षक से ईवाई-एसईडी फंड की रिपोर्ट के अनुसार हरित और ‘ग्रे हाइड्रोजन’ उत्पादन के बीच मूल्य समानता बदलाव की गति और पैमाने का निर्धारण करेगी।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य है। इसके लिये 1,15,000 मेगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता तथा 50 अरब खनिज मुक्त जलापूर्ति की जरूरत होगी।
देश में मई, 2022 की स्थिति के अनुसार, नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 1,13,000 मेगावॉट थी।
ई वाई इंडिया में भागीदार और राष्ट्रीय प्रमुख (बिजली और यूटिलिटी) सोमेश कुमार ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर जारी संकट इस बात की याद दिलाते हैं कि ऊर्जा आयात और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से जुड़ी अन्य वस्तुओं पर भारत की निर्भरता कैसे उसके रणनीतिक हितों को खतरे में डाल सकती है। औद्योगिक कच्चे माल के रूप में उपयोग के लिये निम्न कार्बन युक्त हरित हाइड्रोजन देश की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा, स्थिरता और आत्मनिर्भरता को लेकर एक वरदान की तरह है।’’
रिपोर्ट के अनुसार, हरित हाइड्रोजन उत्पादन और भंडारण (एलसीओएच) की लागत वर्तमान में 400 रुपये प्रति किलो है। इसमें लगभग 40-50 प्रतिशत हिस्सेदारी नवीकरणीय ऊर्जा बिजली संयंत्र तथा 30 से 40 प्रतिशत इलेक्ट्रोलाइज स्टैक की है। इसके अलावा खनिज मुक्त जलापूर्ति समेत अन्य लागत 20 से 30 प्रतिशत है।
एसईडी फंड के उपनिदेशक शिवराम कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘‘ऊर्जा-गहन उद्योगों को कार्बन उत्सर्जन मुक्त करने का मामला हरित हाइड्रोजन आपूर्ति श्रृंखला की प्रतिस्पर्धी क्षमता और अनुकूल नीति पर निर्भर है। हाल ही में अधिसूचित हरित हाइड्रोजन नीति को लागू करने में राज्य सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है...।’’
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