कैग ने बवाना, नरेला औद्योगिक क्षेत्रों के परिचालन में खामियों को लेकर डीएसआईआईडीसी की खिंचाई की

Edited By PTI News Agency,Updated: 05 Jul, 2022 10:08 PM

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नयी दिल्ली, पांच जुलाई (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने बवाना और नरेला औद्योगिक क्षेत्रों में परिचालन में गंभीर खामियों को लेकर दिल्ली राज्य औद्योगिक और अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) की खिंचाई की है।

नयी दिल्ली, पांच जुलाई (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने बवाना और नरेला औद्योगिक क्षेत्रों में परिचालन में गंभीर खामियों को लेकर दिल्ली राज्य औद्योगिक और अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) की खिंचाई की है।
कैग ने मार्च, 2019 को समाप्त वित्त वर्ष के लिये मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि डीएसआईआईडीसी ने दोनों औद्योगिक क्षेत्रों के पुनर्विकास, परिचालन और रखरखाव का कार्य 15 साल के लिये दो कंपनियों को सौंपा था।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इन दो औद्योगिक क्षेत्रों के संचालन और रखरखाव के ऑडिट में पाया गया कि दोनों इकाइयों ने सही तरीके से अपने कार्यों का निर्वहन नहीं किया। इस संदर्भ में डीएसआईआईडीसी के चीजों पर नजर रखने को लेकर उसके कामकाज में खामियां नजर आईं।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘कंपनियों को संचालन और रखरखाव गतिविधियों पर उनके द्वारा किये गये खर्च का विवरण प्राप्त किए बिना मासिक रखरखाव शुल्क में वृद्धि की अनुमति देकर अनुचित वित्तीय लाभ दिया गया।’’
रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने नरेला औद्योगिक क्षेत्र में पानी और जल निकासी के संदर्भ में गलत तरीके से शुल्क वसूले और उसके समायोजन में देरी की। इसके अलावा पार्किंग शुल्क के समायोजन में भी विलंब हुआ।

कैग ने कहा कि बवाना औद्योगिक क्षेत्र में भी पानी और जल निकासी से जुड़े शुल्कों के साथ बिजली तथा पानी बिलों के समयोजन में देरी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘डीएसआईआईडीसी की निगरानी में कोताही के कारण प्रतिकूल पर्यावरण प्रभाव पड़ा। इन औद्योगिक क्षेत्रों में ठोस कचरे का निपटान सही तरीके से नहीं किया गया। इससे नालियां जाम हुई तथा अन्य समस्याएं पैदा हुई...।’’
एक अन्य रिपोर्ट में कैग ने निर्धारित कार्यों में आय का सही उपयोग नहीं करने तथा कर भुगतान में देरी को लेकर भवन और अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड की खिंचाई की है।
कर का समय पर भुगतान नहीं होने से ब्याज मद में अतिरिक्त राशि देनी पड़ी। ऐसा नहीं होने पर उस राशि का उपयोग श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा और अन्य कल्याणकारी कार्यों पर किया जा सकता था।

रिपोर्ट में कल्याणकारी गतिविधियों पर कम खर्च को लेकर भी खिंचाई की गयी है।



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