Edited By PTI News Agency,Updated: 27 Sep, 2022 05:29 PM
नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) गेहूं प्रसंस्करणकर्ताओं ने अग्रिम प्राधिकरण योजना (एएएस) के तहत गेहूं आयात की अनुमति के लिए सरकार से संपर्क किया है। उन्होंने बदले में मूल्यवर्धित उत्पादों का निर्यात करने के लिए यह अनुमति मांगी है।
नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) गेहूं प्रसंस्करणकर्ताओं ने अग्रिम प्राधिकरण योजना (एएएस) के तहत गेहूं आयात की अनुमति के लिए सरकार से संपर्क किया है। उन्होंने बदले में मूल्यवर्धित उत्पादों का निर्यात करने के लिए यह अनुमति मांगी है।
अग्रिम प्राधिकरण योजना, कच्चे माल के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देती है। इस कच्चे माल का अनिवार्य रूप से उन उत्पादों में उपयोग किया जाता है, जिन्हें एक तय समय के भीतर निर्यात करना जरूरी है। उन्हें घरेलू बाजार में उत्पादों को बेचने की अनुमति नहीं है।
वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें गेहूं प्रसंस्करणकर्ताओं से अनुरोध मिला है। वे नीति में बदलाव की मांग कर रहे हैं, क्योंकि इस समय गेहूं और उसके उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध है। यह प्रतिबंध अग्रिम प्राधिकरण योजना के तहत आयात किए गए सामान पर भी लागू है।''
इस मांग को पूरा करने के लिए मंत्रालय के तहत आने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) को अपनी नीति में बदलाव करना होगा।
भारत ने घरेलू बाजार में कीमतों को काबू में रखने के लिए 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अगस्त में गेहूं का आटा, मैदा और सूजी के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया।
विदेश में भारतीय गेहूं की बेहतर मांग के कारण 2021-22 में भारत का गेहूं निर्यात 70 लाख टन के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया। इसका मूल्य 2.05 अरब डॉलर था। पिछले वित्त वर्ष में कुल गेहूं निर्यात में लगभग 50 प्रतिशत बांग्लादेश को निर्यात किया गया था।
रूस और यूक्रेन, गेहूं के प्रमुख निर्यातक हैं, जिनकी वैश्विक गेहूं व्यापार में लगभग एक-चौथाई हिस्सेदारी है। दोनों देशों के बीच युद्ध ने वैश्विक गेहूं आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान पैदा किया है, जिससे भारतीय गेहूं की मांग बढ़ गई है।
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