सोमवार और अक्षय तृतीया का मेल, महापुण्यों के साथ देगा सांसारिक वस्तुओं का वरदान

Edited By ,Updated: 07 May, 2016 04:10 PM

akshaya tritiya

वैशाख माह में भगवान विष्णु व परमेश्वर शिव के पूजन का विशेष महत्व है परंतु वैशाख माह के शुल्क पक्ष की तृतीया तिथि अर्थात अक्षय तृतीया को किया गया

वैशाख माह में भगवान विष्णु व परमेश्वर शिव के पूजन का विशेष महत्व है परंतु वैशाख माह के शुल्क पक्ष की तृतीया तिथि अर्थात अक्षय तृतीया को किया गया शिव परिवार पूजन अक्षय फल प्रदान करता ह। अक्षय तृतीया को युगादि तिथि भी कहा जाता है। सुख, शांति, सौभाग्य तथा समृद्धि हेतु इस दिन शिव-पार्वती व नर-नारायण के पूजन का विधान है। इस दिन श्रद्धा-विश्वास के साथ व्रत रख जो प्राणी पवित्र नदियों और तीर्थो में स्नान कर अपनी शक्तिनुसार देवस्थल व घर में ब्राह्मणों द्धारा यज्ञ, होम, देव-पितृ तर्पण, जप, दानादि शुभ कर्म करते हैं उन्हें उन्नत व अक्षय फल की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति अक्षय तृतीया पर शिव पूजन कर पूजा करते हैं, उनके सभी दुख व परेशानियां दूर होती हैं। इस दिन शिवलिंग की पूजा से अक्षय पुण्य के साथ ही सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। शास्त्रानुसार अक्षय तृतीया को शीतल जल, कलश, चावल, चने, दूध, दही, खाद्य व पेय पदार्थो सहित वस्त्राभूषणों शिवलिंग पर चढ़ाकर गरीबों में दान करना अक्षय व अमिट पुण्यकारी माना गया है। 
 
अक्षय तृतीया सुख-शांति व सौभाग्य में निरन्तर वृद्धि करने वाली तिथि है। तृतीया तिथि मां गौरी की तिथि है जो बल-बुद्धिवर्धक मानी गई है। अतः सुखद गृहस्थी की कामना से जो भी विवाहित जोड़े इस दिन मां गौरी व सम्पूर्ण शिव परिवार की पूजा करते हैं उनके सौभाग्य में वृद्धि होती है। यदि अविवाहित इस दिन श्रद्धा-विश्वास से प्रभु शिव व माता गौरी को उनके परिवार सहित शास्त्रीय विधि से पूजते हैं, उन्हें सुखद वैवाहिक सूत्र में जुड़ने का पवित्र अवसर मिलता है। वेदों में शिव उपासना के विभिन्न रूप वर्णित हैं। शिव पंचाक्षरी मंत्र मनुष्य को समस्त भौतिक सुख साधनो कि प्राप्ति हेतु विशेष लाभकारी है तथा महामृत्युंजय मंत्र के जप से मनुष्य के सभी प्रकार के मृत्यु भय-रोग-कष्ट-दरिद्रता दूर होती हैं। रूद्राभिषेक से अतिवृष्टि, अनावृष्टि एवं महामारी आदि से रक्षा होती हैं एवं अन्य सभी प्रकार के उपद्रवों की शांति होती हैं। इसके साथ-साथ भगवान शंकर, पार्वती, गणेश, कार्तिके और नंदी के पूजन से हर मनोकामना की पूर्ति होती है।   
 
अक्षय तृतीया पर भगवान शंकर की साकार मूर्ति के पूजन से निम्नलिखित लाभ होते हैं। 
 
विवाह सुख में आने वाली बाधाओं को दूर करने हेतु भगवान शंकर की मूर्ति पर बेला के फूल चढाने से उत्तम जीवनसाथी की प्राप्ति होती हैं।
 
भौतिक सुख एवं मोक्ष प्राप्ति हेतु भगवान शंकर की मूर्ति पर स्वेत आक, अपमार्ग एवं सफेद कमल के फूल चढा़ने से लाभ प्राप्त होता हैं।
 
लक्ष्मी प्राप्ति हेतु भगवान शंकर की मूर्ति पर बिल्वपत्र, कमल, शतपत्र एवं शंखपुष्प अर्पण करने से लाभ प्राप्त होता हैं।
 
सुख सम्पत्ति की प्राप्ति हेतु भगवान शंकर की मूर्ति पर हार सिंगार के फूल चढाने से लाभ प्राप्त होता हैं।
 
जूही के फूल भगवान शंकर की मूर्ति पर चढाने से व्यक्ति को अन्न का अभाव नहीं होता हैं।
 
अक्षय तृतीया पर निराकार परमेश्वर के प्रतीक शिवलिंग के पूजन से निम्नलिखित लाभ होते हैं। 

शिवलिंग पर गंगा जल से अभिषेक करने से भौतिक सुख प्राप्त होता हैं एवं मनुष्य को मोक्ष कि प्राप्ति होती हैं।
 
भौतिक सुख साधनो में वृद्धि हेतु शिवलिंग पर सुगंधित द्रव्य से अभिषेक करने से शीघ्र उनमें बढोतरी होती हैं।
 
रोग निवृत्ति हेतु महामृत्युंजय मंत्र जप करते हुए शहद (मधु) से अभिषेक करने से रोगों का नाश होता हैं।
 
रोजगार वृद्धि हेतु गंगाजल एवं शहद (मधु) से अभिषेक करने से लाभ प्राप्त होता हैं।
 
वंश वृद्धि हेतु शिवलिंग पर घी का अभिषेक शुभ फलदायी होता हैं।
 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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