ज्योतिष की सलाह: 11 मार्च तक रहें सावधान अन्यथा भुगतने पड़ेंगे घातक परिणाम

Edited By ,Updated: 08 Mar, 2016 08:04 AM

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पंचक का अर्थ है उन पांच नक्षत्रों का समूह जिसके कारण एक विशेष मुहूर्त दोष बनता है जिसमें कुछ कार्य करना मना है। ज्योतिष शास्त्रानुसार जब चन्द्रमा 27

पंचक का अर्थ है उन पांच नक्षत्रों का समूह जिसके कारण एक विशेष मुहूर्त दोष बनता है जिसमें कुछ कार्य करना मना है। ज्योतिष शास्त्रानुसार जब चन्द्रमा 27 नक्षत्रों में से अंतिम पांच नक्षत्रों अर्थात धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, एवं रेवती में होता है तो उस अवधि को पंचक कहते है। 

दूसरे शब्दों में जब चंद्रमा कुंभ व मीन राशि पर रहता है तब उस समय को पंचक कहते हैं। शुभ कार्यों, खास तौर पर देव पूजन में पंचक का विचार नहीं किया जाता। अत: पंचक के दौरान शुभ क्रिया कलाप किए जा सकते हैं। शास्त्रों में पंचक के दौरान शुभ कार्य के लिए कहीं भी निषेध का वर्णन नहीं है। केवल कुछ विशेष कार्यों को ही पंचक के दौरान न करने की सलाह शास्त्रों में वर्णित है। 

कल 7 मार्च सोमवार की दोपहर 01.30 से पंचक का आरंभ हो गया है। जो 11 मार्च, शुक्रवार की शाम 07.21 तक रहेगा। यह पंचक सोमवार से शुरू हुई है इसलिए इसे राज पंचक नाम से जाना जाएगा।

वर्तमान समय प्राचीन काल से पूर्णत अलग है अतः आधुनिक युग में कार्यो को पूर्ण रूप से रोक देना असंभव हैं। शास्त्रों ने शोध करके ही निम्नलिखित कार्यो को न करने की सलाह दी है। पंचक के दौरान मुख्य रूप से इन पांच कामों को वर्जित किया गया है। 

1. घनिष्ठा नक्षत्र में ईंधन इकट्ठा नहीं करना चाहिए अर्थात गैस सिलेंडर या पेट्रोल या केरोसीन न खरीदें इससे अग्नि का भय रहता है।

2. दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।

3. रेवती नक्षत्र में घर की छत डालना धन हानि और क्लेश कराने वाला होता है।

4. पंचक के दौरान चारपाई नहीं बनवाना या पलंग नहीं खरीदें या फर्नीचर नहीं खरीदना चाहिए।

5. पंचक के दौरान शव का अंतिम संस्कार करने की मनाही की गई है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पंचक में शव का अन्तिम संस्कार करने से कुटुंब या क्षेत्र में पांच लोगों की मृत्यु हो जाती है।

पंचक के इन पांच नक्षत्रों में से धनिष्ठा व शतभिषा नक्षत्र चर संज्ञक हैं अत: इसमें पर्यटन, मनोरंजन, मार्केटिंग एवं वस्त्रभूषण खरीदना शुभ होता है। पूर्वाभाद्रपद उग्र संज्ञक नक्षत्र है अत: इसमें वाद-विवाद और मुकदमे जैसे कामों को करना शुभ रहता है। उत्तरा-भाद्रपद ध्रुव संज्ञक नक्षत्र है इसमें शिलान्यास, योगाभ्यास एवं दीर्घकालीन योजनाओं को प्रारम्भ शुभ रहता है। 

वहीं रेवती नक्षत्र मृदु संज्ञक नक्षत्र है अत: इसमें गीत, संगीत, अभिनय, टी.वी. सीरियल का निर्माण एवं फैशन शो आयोजित किये जा सकते हैं। यदि किसी काम को पंचक के कारण टालना नामुमकिन हो तो उसके लिए क्या उपाय करना चाहिए। जिन पांच कामों को पंचक के दौरान न करने की सलाह प्राचीन ग्रन्थों में दी गयी है अगर वर्जित कार्य पंचक काल में करने की अनिवार्यता उपस्थित हो जाये तो निम्नलिखित उपाय करके उन्हें सम्पन्न किया जा सकता है।

1. अगर शादी के लिए लकड़ी का समान खरीदना जरूरी हो तो गायत्री हवन करवाकर लकड़ी का फर्नीचर खरीद सकते हैं।

2. पंचक काल में अगर दक्षिण दिशा की यात्रा करना अनिवार्य हो तो हनुमान मंदिर में पांच फल चढा कर यात्रा कर सकते हैं।

3. मकान पर छत डलवाना अगर जरूरी हो तो मजदूरों को मिठाई खिलाने के पश्चात ही छत डलवाने का कार्य करे। 

4. पंचक में अगर ईंधन इकट्ठा करना ज़रूरी हो तो आटे से बना तेल का पंचमुखी दीपक शिवालय में जलाएं उसके बाद ईंधन खरीद सकते हैं।

5. शव दाह आवश्यक कार्य है परंतु पंचक होने पर शव दाह करते समय पांच अलग पुतले बनाकर उन्हें भी अवश्य जलाएं।

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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