दीपावली से पहले बना महाअशुभ संयोग राशि अनुसार जानें किसकी दीवाली रहेगी काली

Edited By ,Updated: 07 Nov, 2015 05:16 PM

diwali astrology

अंतरिक्ष में ग्रहों की जो युति वर्तमान समय में बन रही है। उसके अनुसार अज्ञात रोग एवं दैवी कोप की रचना हो रही है। एक क्रम में रशियां एवं उनके स्वामी अशुभ प्रभाव देने वाले बन गए हैं। आज शनिवार दिनांक 07.11.15 को अत्यंत आशयभ संयोग बन रहा है। यह संयोग...

अंतरिक्ष में ग्रहों की जो युति वर्तमान समय में बन रही है। उसके अनुसार अज्ञात रोग एवं दैवी कोप की रचना हो रही है। एक क्रम में रशियां एवं उनके स्वामी अशुभ प्रभाव देने वाले बन गए हैं। आज शनिवार दिनांक 07.11.15 को अत्यंत आशयभ संयोग बन रहा है। यह संयोग राहू, मंगल शुक्र और चंद्रमा के सूर्य के नक्षत्र उत्तरा-फाल्गुनी में मिलन से हो रहा है तथा संयोग कालपुरुष की छठी राशि कन्या में बन रहा है जिसका स्वामी बुध है। कन्या राशि में शुक्र नीच हो जाता है तथा बुध मंगल का परम शत्रु माना जाता है। इसके साथ ही राहू व चंद्र के मिलन से ग्रहण योग बन रहा है। तथा शुक्र और मंगल के मेल से व्यभिचारी योग का निर्माण हो रहा है। इस के साथ-साथ शुक्र व राहू के मिलन से भृगु-चांडाल योग बन रहा है। इसके साथ-साथ सबसे अशुभ मंगल और राहू के मिलन से बन रहा है। इस योग को अंगारक योग कहा जाता है।  

शुक्र ग्रह दैत्य गुरु माना गया है। जो संजीवनी विद्या या दूसरे शब्दों में गूढ़ चिकित्सा का प्रवर्तक भी माना गया है। मंगल ग्रह धरती का पुत्र माना गया है। धरती वनस्पति या दूसरे शब्दों में जडी़-बूटी की जननी कही जाती है और सबसे ऊपर जटिल प्रक्रिया के अनुसार षड्यंत्रकारी गति के साथ हमेशा पीछे चलते राहू ग्रह जल के कारक चंद्रमा के साथ युति कर रहे हैं। इसके साथ ही शास्त्र फलदीपिका के अनुसार चार अनिष्ट योगों का निर्माण भो हो रहा है। पहला है मृति योग इससे से शतरुन से पराजय मिलती है। दूसरा योग है दूसरा अनिष्ट योग है कुहू योग इसमे शुखोन का क्षय होता है। तीसरा है चतु योग इस योग में व्यभचार होता है और चौथा अनिष्ट योग है विषप्रयोग इसमे जनमानस का हास होता है। कन्या, राशि में एक साथ चलने वाले शुक्र एवं मंगल अपरिचित एवं निदान न होने के योग्य रोग उत्पन्न करेंगे। दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि कन्या राशि में इस युति की शुरुआत हो रही है। अतः स्त्री जाती में अज्ञात रोगों का भय ज्यादा होगा।   

चंद्रमा जल का कारक ग्रह है और राहु ‘शीशे’ का प्रतिनिधित्व करता है। राहू चंद्रमा की युति प्राकृतिक आपदाओं के सूचक है। मंगल और राहु दोनों एक दूसरे के शत्रु ग्रह- षड्यंत्र, झगड़े, विवाद, शत्रु एवं साहस, पराक्रम के भी कारक हैं। मंगल-राहु की युति कुंडली में अंगारक योग का निर्माण करती है। इस युति के फलस्वरूप दुःसाहसी, अतिक्रोधी तथा षड्यंत्रकारी आतंक का सूचक है। राहु के साथ शुक्र की युति ‘क्रोध योग’ का निर्माण करती है। यह योग आतंकवाद, व्यभिचार तथा बलात्कार जैसे कृत्यों को जन्म देता है। मंगल शुक्र राहू और चंद्रमा से बनने वाला यह महा अशुभ योग देश में किसी बड़े षड्यंत्र का सूचक है। इस योग से जनता में अशांति और दुःख का वातावरण फैलेगा। या योग सत्ता पक्ष के विरुद्ध किए जा रहे षड्यंत्र का संकेत भी दे रहा है तथा किसी बड़े आतंकवादी घटना और प्राकृतिक आपदा का संकेत भी है। इस लेख के माध्यम से हम अपने पाठकों को बता रहे हैं की बन रहा संयोग किस राशि के लिए शुभ और किस राशि के लिए अशुभ रहेगा। 

मेष: छठे भाव में संयोग बनने से प्रेम संबंधों में नुक्सान होगा। पार्टनर की सेहत पर खर्चा होगा। वरिष्ठ अधिकारीयों की मदद न मिलने से कार्य लंबित होंगे। विरोधी सक्रिय होगा। संयमित व्यवहार रखें।

वृष: पांचवें भाव में संयोग बनने से लव रिलेशन कमजोर होंगे। नए लोगों से मित्रता होगी। इगो से दूर रहकर जबान पर लगाम रखें। दूसरों के झगड़ों के बीच पड़ने से फजीहत होगी। पर्सनल लाइफ बिगड़ेगी।

मिथुन: चौथे भाव में संयोग बनने से परिजनों व परिचितों से विवाद होगा अतः स्वयं पर नियंत्रण रखें। सोच में नकारात्मकता आएगी। ऑफिस में विवाद होगा। भाग्य साथ नहीं देगा। अधिक चिंता न करें।

कर्क: तीसरे भाव में संयोग बनने से पुराने रोग सक्रिय होंगे। लोग विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाएंगे। भाई-बहनों से विवाद के योग हैं। धन व्यर्थ की चीजों पर व्यय होगा। स्थिति नियंत्रित करने में अक्षम रहेगी।

सिंह: दूसरे भाव में संयोग बनने से संबंधियों व परिचितों से व्यर्थ विवाद होगा। स्वास्थ्य खराब रहेगा। भाग्य साथ नहीं देगा। पार्टनर से विवाद होगा। संयम को बनाएं रखें। घर से कीमती चीज़ें चोरी हो सकती हैं।

कन्या: पहले भाव में संयोग बनने से अकारण मेंटल टेंशन रहेगी। सिरदर्द परेशान करेगा। नया काम शुरू करने से बचें। कानूनी मामले में फंसने से बचें। कन्फ्यूजन के स्थिति बनी रहेगी। धन हानि के योग हैं।

तुला: बाहरवें भाव में संयोग बनने से कार्यक्षेत्र में समस्याएं आएंगी। प्रेम संबंधों में कटुता आएगी। छोटी-छोटी बातों पर मन खराब होगा। शत्रु परेशान करेंगे। मित्र असहयोग करेंगे। इनवेस्टमेंट में हानि होगी।

वृश्चिक: ग्यारवें भाव में संयोग बनने से मित्र धोखा देंगे। कर्मठता का हास होगा। पूरे प्रयास करने पर भी असफलता मिलेगी। पर्सनल लाइफ में समस्याएं आएंगी। लव लाइफ में पार्टनर से धोखा मिल सकता है।

धनु: दसवें भाव में संयोग बनने से परफॉर्मेंस में कमी आएगी। मानहानि के योग हैं। समय ध्यान भटकाने वाला रहेगा। आए हुए मौके हाथ से फिसल सकते हैं। कोई बड़ा आर्थिक कदम लेने से बचें हानि के योग हैं।

मकर: नवें भाव में संयोग बनने से समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। मानभंग के योग हैं। बड़ी रिस्क उठाने से बचें। ऑफिशियल कामों में सतर्कता बरतें अन्यथा आपकी ऑफिशियल इमेज को ठेस लग सकती है।

कुंभ: आठवें भाव में संयोग बनने से शत्रु आपके विरुद्ध कोई प्लानिंग करेंगे। आर्थिक हानि के योग हैं। ऑफिशियल काम में हानि होगी। पर्सनल लाइफ में प्रॉब्लेम्स आने के संकेत हैं। रिश्तेदारों से साहयता मिलेगी।

मीन: सातवें भाव में संयोग बनने से स्वास्थ्य सामस्याएं सताएंगी। वाणी पर संयम न रखने से हानि होगी। मुश्किल समय में भाग्य साथ देगा परंतु मन भटकता रहेगा। आप उलटे सीधे काम भी कर सकते हैं।

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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