इन हालातों में बनते हैं अर्थहीन सपने

Edited By ,Updated: 22 Jul, 2016 01:48 PM

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जब कभी मन बाहरी तनाव, चिंता, अत्यधिक भोजन, प्राकृतिक आवेग आदि से ग्रस्त होकर नींद में लीन होता है, उस समय के स्वप्नफल निर्णय की दृष्टि से अर्थहीन होते हैं।

जब कभी मन बाहरी तनाव, चिंता, अत्यधिक भोजन, प्राकृतिक आवेग आदि से ग्रस्त होकर नींद में लीन होता है, उस समय के स्वप्नफल निर्णय की दृष्टि से अर्थहीन होते हैं। हमारे शरीर में वात, पित्त, कफ के असंतुलन से भी स्वप्न आते हैं। इनमें शरीर में वात दोष की अवस्था असंतुलित होने पर व्यक्ति हवा में उडऩे, ऊंचाई से गिरने, पहाड़ों पर चढऩे, सीढिय़ां चढऩे के स्वप्न देखता है। 
 
पित्त दोष की अवस्था असंतुलित होने पर आग जलने, मकान जलने, लाल और पीले रंग की वस्तुओं आदि के स्वप्र देखता है और कफ दोष की अवस्था के असंतुलित होने पर जलाशयों, बगीचों में भ्रमण, पानी में तैरने आदि के स्वप्न देखता है। 
 

कभी-कभी निद्रा में हृदय पर हाथ रख देने से डरावने स्वप्न आते हैं जिनका फल भी निरर्थक होता है। दिन में देखे गए स्वप्र किसी के प्रति अतिशय प्रेम, घृणा या मन की अस्वस्थता के कारण ही आते हैं। 

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