Edited By ,Updated: 30 Mar, 2016 08:47 AM
बहुत से विद्वानों का यह मानना है कि स्वप्न वस्तुत: उन भावनाओं की अभिव्यक्ति का साधन हैैं जिन्हें वह वास्तविक जीवन में व्यक्त नहीं कर पाता।
बहुत से विद्वानों का यह मानना है कि स्वप्न वस्तुत: उन भावनाओं की अभिव्यक्ति का साधन हैैं जिन्हें वह वास्तविक जीवन में व्यक्त नहीं कर पाता। स्वप्न धारणाओं के विषय में काफी कुछ अनुसंधान हो चुका है। स्वप्र विचारकों तथा स्वप्र विज्ञान के अनुसार हम तीन प्रकार के स्वप्न देखते हैं-
(1) वास्तविक जीवन के प्रश्रों से संबंधित स्वप्र,
(2) अद्भुत-अपूर्व स्वप्र,
(3) भविष्य सूचक स्वप्र।
भविष्य सूचक स्वप्न-कुछ स्वप्र भविष्य के सूचक भी होते हैं। ऐसे अनेक स्वप्रों को शुभ शकुन के रूप में भारतीय शकुन शास्त्रों में उल्लिखित किया गया है। कई बार ब्रह्म मुहूर्त में जो स्वप्र देखे जाते हैं वे हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं की पूर्व सूचना देते पाए गए हैं। अनेक बार मैंने स्वयं भी ऐसे स्वप्र देखे हैं जिनका संबंध भविष्य से था। एक बार जब मैं कक्षा आठ में पढ़ता था तब इम्तिहान चल रहे थे, अगले दिन गणित का पेपर था परन्तु तैयारी में एक प्रश्र हल नहीं हो रहा था। बहुत प्रयास करने पर थक कर मैं सो गया। उस रात्रि के अंतिम प्रहर में (ब्रह्म मुहूर्त) मैंने जो स्वप्र देखा उसमें किसी अलौकिक महापुरुष ने मुझे उस अनसुलझे प्रश्र का हल समझा दिया। तुरन्त मेरी निद्रा खुल गई और मैंने उस प्रश्र का अभ्यास किया जो कि बिल्कुल ठीक था। कई महात्माओं ने अपनी मृत्यु संबंधी भविष्यवाणी स्वप्र के आधार पर ही की है।
शकुन शास्त्रों में स्वप्र का बड़ा महत्व रहा है- यह जानते हुए भी कि स्वप्रों के विषय में कोई ठोस नियम अभी तक बनाए नहीं जा सके हैं क्योंकि स्वप्र फल एक से नहीं रहते, कभी-कभी निरर्थक भी हो जाते हैं। फिर भी शकुन शास्त्र में अनेक प्रकार के स्वप्रों की विस्तृत चर्चा की गई है तथा जन-सामान्य की रुचि तथा विश्वास भी उनमें बराबर बना रहा है। इतना ही नहीं, वास्तविक जीवन में देखा गया है कि मनुष्य अपने द्वारा देखे गए स्वप्रों के प्रति बड़ा जिज्ञासु तथा सतर्क रहा है।
उदाहरण के लिए स्वप्र में चिकित्सक का दिखाई देना रोगों की आशंका की ओर संकेत करता है। इसी प्रकार यदि स्वप्र में कोई व्यक्ति समझौता होते हुए देखे तो जिस प्रकार वास्तविक जीवन में समझौता मानसिक शांति का सूचक है उसी प्रकार इसका स्वप्र फल भी निश्चित किया गया है अर्थात वह परिस्थितियों पर शनै: शनै: विजय पाने का संकेत माना गया है किंतु इस नियम के अनुसार सभी शुभ घटनाओं के शुभ फल ही निर्धारित किए गए हों, ऐसा नहीं है।
उदाहरण के लिए राज्याभिषेक नितांत शुभ घटना है जबकि इसका स्वप्र फल बताता है कि उस व्यक्ति को विघ्न बाधाओं का सामना करना पड़ेगा। इसी प्रकार मुकुट धारण करने का भी विपरीत फल निश्चित किया गया है। शकुन शास्त्र में इस प्रकार के एक नहीं, अनेकों स्वप्नों की चर्चा है जिनका शुभाशुभ फल विस्तारपूर्वक उल्लिखित है।
—डा. आर.बी. धवन ‘शुक्राचार्य’