Edited By ,Updated: 17 Oct, 2016 11:31 AM
कार्तिक कृष्ण पक्ष में करक चतुर्थी अर्थात करवा चौथ का लोकप्रिय व्रत सुहागिन और अविवाहित स्त्रियां पति की मंगल कामना एवं दीर्घायु के लिए निर्जल रखती हैं।
कार्तिक कृष्ण पक्ष में करक चतुर्थी अर्थात करवा चौथ का लोकप्रिय व्रत सुहागिन और अविवाहित स्त्रियां पति की मंगल कामना एवं दीर्घायु के लिए निर्जल रखती हैं। इस दिन न केवल चंद्र देवता की पूजा होती है अपितु शिव-पार्वती और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। इस दिन विवाहित महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए गौरी पूजन का भी विशेष महात्म्य है।
इस वर्ष, यह व्रत विशेष रूप से फलदायी होगा क्योंकि 100 साल बाद करवाचौथ का महासंयोग बना है। रोहिणी नक्षत्र, बुधवार, सर्वार्थ सिद्धि योग एवं गणेश चतुर्थी का संयोग इसी दिन है जो ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत अच्छा माना जाता है। गणेश जी की पूजा का भी विशेष महत्व रहेगा। चंद्रमा स्वयं, शुक्र की राशि वृष में उच्च के होंगे । बुध स्वराशि कन्या में और शुक्र व शनि एक ही राशि में विराजमान होंगे। यही नहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी शुक्र प्रेम का परिचायक है। इस दिन शुक्र ग्रह, मंगल की राशि वृश्चिक में है जिससे संबंधों में उष्णता रहेगी। मंगलवार की रात्रि 11 बजे तक तृतीया तिथि रहेगी और इसके बाद से चतुर्थी तिथि आरंभ होकर बुधवार की सायं 07.33 बजे तक रहेगी ।
ज्योतिष शास्त्रियों का मानना है की 2016 में करवाचौथ का व्रत रखने से 100 व्रतों का वरदान प्राप्त होगा। न केवल पति की उम्र लंबी होगी बल्कि संतान सुख भी प्राप्त होगा।