Edited By ,Updated: 16 Jan, 2016 09:31 AM
भारतीय धार्मिक शास्त्रों में भगवान शंकर के महेश्वर स्वरूप को घट-घट का वासी कहा जाता है। शैव पंरपरा के अनुसार संसार के कोने-कोने में शमशान का वास होता है लेकिन
भारतीय धार्मिक शास्त्रों में भगवान शंकर के महेश्वर स्वरूप को घट-घट का वासी कहा जाता है। शैव पंरपरा के अनुसार संसार के कोने-कोने में शमशान का वास होता है लेकिन शास्त्र ऐसा बताते हैं की जन्म से भी पहले संसार में मृत्यु थी। शब्द शम काल के मृत्यु स्वरूप को कहा जाता है क्योंकि जो वस्तु संसार में बनी है उसका अंत निश्चित है। इसी कारण शिव सदैव महेश्वर बनकर शमशान में अपना सम्राज्य स्थापित करते हैं।
शास्त्रों में प्राणी की देह शिव और शक्ति के मिलन से बनी हुई है। इसी कारण शास्त्रों ने भगवान शंकर को संसार का सार कहकर संबोधित किया है और वही एकमात्र संसार के होने का कारण हैं। भगवान शंकर ही एकमात्र ऐसे विरले देवता हैं जो अशुभ से अशुभ चीज को भी शुभ बना देते हैं। वेदों का निचोड़ है की शिवलिंग स्वयं में ब्रह्मा, विष्णु, देवी सहित 35 कोटी देवताओं को अपने अंदर समाहित कर लेते हैं।
संसार की प्रकृति में निहित काल चक्र शिवलिंग से आरंभ होकर उनमें ही समाप्त हो जाती है। इसी कारण भगवान शंकर को महाकाल, भूतनाथ और शमशान वासी कहा जाता है। आईए जानते हैं शमशान वासी किस तरह दिला सकता हैं आपको बंगला-गाड़ी
1, सोमवार के दिन दो मुखी रूद्राक्ष चांदी में धारण करने पर व्यक्ति को चल-अचल संपत्ति की प्राप्ति होती है।
2 सफेद शिवलिंग पर गन्ने के रस से अभिषेक करने पर धन के भंडार भरते हैं।
3. 14 मुखी रूद्राक्ष को द्विपुष्कर योग में घर में स्थापित करें। जल्दी नई प्रापर्टी का योग बनेगा।
4.13 मुखी रूद्राक्ष धारण करने से सुंदर, सुलक्षणा, बुद्धिमान और अच्छी पत्नी की प्राप्ति होती है।
5. नमक-चमक के साथ में रूद्रीय पाठ करने पर व्यक्ति को गाड़ी और बंगले की प्राप्ति होती है।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com