Chaitra Navratri Ghatasthapana Shubh Muhurat 2021: कलश स्थापना की विधि और शुभ मुहूर्त

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Apr, 2021 07:01 AM

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Chaitra Navratri Ghatasthapana Shubh Muhurat 2021: आज 13 अप्रैल मंगलवार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि का

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Chaitra Navratri Ghatasthapana Shubh Muhurat 2021: आज 13 अप्रैल मंगलवार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि का आरंभ हो रहा है। जो 21 अप्रैल तक चलेंगे। वर्ष 2021 में नवरात्रि पूरे नौ दिनों के होंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार किसी भी तिथि का क्षय नहीं हुआ है। 9 दिनों में नव दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा करने का विधान है। इसका शुभ आरंभ घटस्थापना के साथ किया जाता है।

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Ghatasthapana Shubh Muhurat 2021 घट अथवा कलश स्थापना 
घट स्थापना मुहूर्त-
13 अप्रैल, 6.02 से 10.16 ए एम तक

घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त - 12:03 पी एम से 12:54 पी एम
अवधि - 52 मिनट

घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 12, 2021 को 08:00 ए एम से
प्रतिपदा तिथि समाप्त - अप्रैल 13, 2021 को 10:16 ए एम तक

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Ghata Kalash Sthapana Vidhi कैसे करें घट स्थापना?
प्रात:काल स्नान करें, लाल परिधान धारण करें। घर के स्वच्छ स्थान पर मिट्टी से वेदी बनाएं। वेदी में जौ और गेहूं दोनों बीज दें। एक मिट्टी या किसी धातु के कलश पर रोली से स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं। कलश पर मौली लपेटें। फर्श पर अष्टदल कमल बनाएं। उस पर कलश स्थापित करें। 

कलश में  गंगाजल, चंदन, दूर्वा, पंचामृत, सुपारी, साबुत हल्दी, कुशा, रोली, तिल, चांदी डालें। कलश के मुंह पर 5 या 7 आम के पत्ते रखें। उस पर चावल या जौ से भरा कोई पात्र रख दें। 

एक पानी वाले नारियल पर लाल चुनरी या वस्त्र बांध कर लकड़ी की चौकी या मिट्टी की वेदी पर स्थापित कर दें। 

नारियल को ठीक दिशा में रखना बहुत आवश्यक है। इसका मुख सदा अपनी ओर अर्थात साधक की ओर होना चाहिए। नारियल का मुख उसे कहते हैं जिस तरफ वह टहनी से जुड़ा होता है। पूजा करते समय आप अपना मुंह सूर्योदय की ओर रखें। इसके बाद गणेश जी का पूजन करें। 

वेदी पर लाल या पीला कपड़ा बिछा कर देवी की प्रतिमा या चित्र रखें। आसन पर बैठ कर तीन बार आचमन करें। हाथ में चावल व पुष्प लेकर माता का ध्यान करें और मूर्त या चित्र पर समर्पित करें। इसके अलावा दूध, शक्कर, पंचामृत, वस्त्र, माला, नैवेद्य, पान का पत्ता आदि चढ़ाएं। देवी की आरती करके प्रसाद बांटें और फलाहार करें।

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