Edited By ,Updated: 16 Sep, 2016 03:22 PM
अपने पूर्वजों के प्रति स्नेह, विनम्रता, आदर व श्रद्धा भाव से किया जाने वाला कर्म ही श्राद्धकर्म कहलाता है तथा शास्त्रों में इसे पितृयज्ञ भी कहा गया है।
अपने पूर्वजों के प्रति स्नेह, विनम्रता, आदर व श्रद्धा भाव से किया जाने वाला कर्म ही श्राद्धकर्म कहलाता है तथा शास्त्रों में इसे पितृयज्ञ भी कहा गया है। ऋषि पुलस्त्य के मतानुसार जिस विशिष्ट कर्म में दूध, गाय का शुद्ध घी और शहद सहित सात्विक पकवान श्रद्धापूर्वक पितृ के निमित कौए, गाय और ब्राह्मण को दिए जाते हैं वही श्राद्ध है।
आज से पितृ पक्ष का आरंभ हो गया है। जो अधिकतर 16 दिन तक चलता है लेकिन 427 वर्ष उपरांत 16 दिवसीय श्राद्ध पक्ष इस वर्ष 15 दिन तक चलेंगे। इससे पूर्व ये शुभ संयोग 1589 में बना था और भविष्य में ये लगभग साढ़े चार सौ वर्ष उपरांत आएगा।
भगवती की अराधना का पर्व नवरात्रि 10 दिन तक चलेंगे। श्राद्ध पक्ष का एक दिन कम होना और नवरात्रि का एक दिन बढ़ना शुभ संकेत दे रहा है। व्यापारियों का भाग्य बदलेगा और अच्छे दिनों का आगाज होगा। आम जनता के लिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। जिससे सफलता खुद ब खुद कदम चूमने लगेगी और जब सफलता मिलेगी तो जीवन में खुशहाली का समावेश होगा।
पंजाब केसरी के
ज्योतिष पंडित श्री कमल नंदलाल जी के अनुसार, 24 सितंबर को पड़ने वाले श्राद्ध पर अष्टमी व नवमी तिथि एकसाथ आ रही हैं। जिससे की एक श्राद्ध कम हो गया है। 16 सितंबर से लेकर 30 सितंबर सर्वपिृत अमावस्या तक श्राद्ध चलेंगे। जिन जातको के पितरों का श्राद्ध अष्टमी व नवमी तिथि पर आता है, वे प्रात:काल में अष्टमी और दोपहर के बाद नवमी का श्राद्ध करेंगे।
1 से 10 अक्टूबर तक चलने वाले नवरात्र में तृतीया तिथि दो दिन 3 और 4 अक्तूबर को रहेगी। दस दिन तक नवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। 11 अक्तूबर को विजय दशमी का त्यौहार आएगा।