Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Jun, 2022 08:16 AM
पद्मपुराण के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत के प्रभाव से जहां मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, वहीं अनेक रोगों की निवृत्ति एवं सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस व्रत के प्रभाव से चतुर्दशीयुक्त अमावस्या को सूर्यग्रहण के समय
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Nirjala Ekadashi Vrat 2022: पद्मपुराण के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत के प्रभाव से जहां मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, वहीं अनेक रोगों की निवृत्ति एवं सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस व्रत के प्रभाव से चतुर्दशीयुक्त अमावस्या को सूर्यग्रहण के समय श्राद्ध करके मनुष्य जिस फल को प्राप्त करता है, वही फल इस व्रत की महिमा सुनकर मनुष्य पा लेता है। करोड़ों गोदान करने तथा सैंकड़ों अश्वमेध यज्ञ करने के समान इस व्रत का पुण्यफल है। विभिन्न प्रकार के अन्न एवं वस्त्रों से ब्राह्मणों को प्रसन्न एवं संतुष्ट करने वाले प्राणियों के लिए यह व्रत किसी रामबाण से कम नहीं है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य की बीती हुई तथा आने वाली 100 पीढ़ियों को भगवान वासुदेव के परमधाम की प्राप्ति होती है। व्रत रखने के साथ-साथ दान का भी अत्यधिक महत्व है।
Nirjala Ekadashi 2022 Daan: राशि अनुसार करें दान
मेष : सात अनाज दान करें।
वृष : सफेद वस्त्र।
मिथुन : हरे फल, आम, खरबूजा।
कर्क : जल की व्यवस्था, वाटर कूलर, पंखे, कूलर का दान।
सिंह : एयर कंडीशनर या धर्म स्थानों पर विद्युत उपकरण, जीवन में सुख-समृद्घि एवं वृद्धि लाएंगे।
कन्या: अनाथालय या लंगर में हरी सब्जियां व खरबूजे दान करें।
तुला : मीठे जल या पेय की छबील लगाएं।
वृश्चिक : भगवान विष्णु का स्मरण और तरबूज।
धनु : पीला ठंडा केसर युक्त दूध।
मकर : छतरी, जल पात्र, कलश, छायादार पौधारोपण या शैल्टर का निर्माण कर सकते हैं।
कुंभ : जल से भरा कुंभ, कूलर, फ्रिज, वाटर कूलर, एंबुलैंस वाहन।
मीन : ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ का पाठ और ‘सर्व भूत हिते रता:’ की भावना से सार्वजनिक स्थान पर पीपल का पेड़ लगाना आपको निरोगी काया देगा और अन्य को छाया देगा।