शनिदेव के पिता का पूजन करते हैं भगवान जानें, क्या मिलता है लाभ

Edited By ,Updated: 15 Oct, 2016 09:36 AM

suryopasna

भगवान सूर्य परमात्मा के ही प्रत्यक्ष स्वरूप हैं। ये आरोग्य के अधिष्ठातृ देवता हैं। मत्स्य पुराण (67/71) का वचन है कि ‘आरोग्यं भाष्करादिच्छेत्’ अर्थात

भगवान सूर्य परमात्मा के ही प्रत्यक्ष स्वरूप हैं। ये आरोग्य के अधिष्ठातृ देवता हैं। मत्स्य पुराण (67/71) का वचन है कि ‘आरोग्यं भाष्करादिच्छेत्’ अर्थात आरोग्य की कामना भगवान सूर्य से करनी चाहिए, क्योंकि इनकी उपासना करने से मनुष्य निरोग रहता है। वेद के कथानुसार परमात्मा की आंखों से सूर्य की उत्पत्ति मानी जाती है- चक्षो: सूर्योऽजायत।


श्रीमद् भागवत गीता के कथानुसार ये भगवान की आंखें हैं- शशिसूर्यनेत्रम् (11/19)।


श्री रामचरित मानस में भी कहा है- नयन दिवाकर कच घन माला (6/15/3) आंखों के सम्पूर्ण रोग सूर्य की उपासना से ठीक हो जाते हैं। भगवान सूर्य में जो प्रभा है, वह परमात्मा की ही प्रभा है, वह परमात्मा की ही विभूति है-
प्रभास्मि शशिसूर्ययो: (गीता 7/8)
यदादित्यगतं तेजो जगद्भासयतेऽखिलम्। 
यच्चन्द्रमसि यच्चाग्नौ तत्तेजो विद्धि मामकम्।


भगवान कहते हैं- जो सूर्यगत तेज समस्त जगत को प्रकाशित करता है तथा चंद्रमा एवं अग्नि में है, उस तेज को तू मेरा ही तेज जान।


इससे सिद्ध होता है कि परमात्मा और सूर्य ये दोनों अभिन्न हैं। सूर्य की उपासना करने वाला परमात्मा की ही उपासना करता है। अत: नियम पूर्वक सूर्योपासना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है। ऐसा करने से जीवन में अनेक लाभ होते हैं, आयु, विद्या, बुद्धि, बल, तेज और मुक्ति एक की प्राप्ति सुलभ हो जाती है इसमें संदेह नहीं करना चाहिए। सूर्योपासकों को निम्र नियमों का पालन करना परम आवश्यक है-
* प्रतिदिन सूर्योदय के पूर्व ही बिस्तर त्याग कर शौच-स्नान करना चाहिए।


* स्नानोपरांत श्री सूर्य भगवान को अर्ध्य देकर प्रणाम करें।


* संध्या समय भी अर्ध्य देकर प्रणाम करना चाहिए।


* प्रतिदिन सूर्य के 21 नाम, 108 नाम या 12 नाम से युक्त स्तोत्र का पाठ करें। सूर्य सहस्रनाम का पाठ भी महान लाभकारक है।


* आदित्य-हृदय का पाठ प्रतिदिन करें।


* नेत्र रोग से बचने एवं अंधत्व से रक्षा के लिए नेत्रोपनिषद् का पाठ प्रतिदिन करके भगवान सूर्य को प्रणाम करें।


* रविवार को तेल, नमक और अदरक का सेवन न करें और न किसी को कराएं।


उपासक स्मरण रखें कि भगवान श्रीराम ने आदित्य-हृदय का पाठ करके ही रावण पर विजय पाई थी। धर्मराज युधिष्ठिर ने सूर्य के 108 नामों का जप करके ही अक्षय पात्र प्राप्त किया था। समर्थ श्री रामदास जी भगवान सूर्य को प्रतिदिन 108 बार साष्टांग प्रणाम करते थे। गोस्वामी संत तुलसीदास जी ने सूर्य का स्तवन किया था इसलिए सूर्योपासना सबके लिए लाभप्रद है। 

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